लखनऊ: भारत ने रविवार सुबह 9 बजकर 48 मिनट पर अंतरमहाद्वीप बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। भारत इस तरह के प्रक्षेपास्त्र विकसित करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन चुका है। अभी सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास ही ऐसी मिसाइल हैं। स्वदेशी ज्ञान कौशल से निर्मित स्ट्रैजिक कमांड सुपर चलित 5 से 8 हजार किमी तक प्रहार करने की इस मिसाइल की क्षमता है।
अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) के चार नंबर लांचिंग काम्प्लेक्स में इसे आज हवा में उड़ाया गया। 50 टन वजन की यह मिसाइल 17.5 मीटर लम्बी, दो मीटर चौड़ी तथा यह अपने साथ 1 टन वजन का विस्फोटक ले जाने की ताकत रखती है। तीन चरणों में ठोस प्राणोदक से चलने वाली अग्नि-5 को एकीकृत परीक्षण क्षेत्र परिसर-4 से सुबह 9 बजकर 48 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। यह आकाश में सीधे उड़ान भरने लगी। उड़ान के दौरान इसके अनेक मानदंडों का अध्ययन किया गया।
इस मिसाइल के परीक्षण के साथ ही चीन के साथ आधा यूरोप इस मिसाइल के क्षेत्र में आ चुके हैं। आज इस मिसाइल के परीक्षण ने हिन्द महासागर में अचूक निशाना लगाया। अग्नि-5 का प्रथम परीक्षण 2012, दुसरा परीक्षण 2013, तीसरा परीक्षण 2015, चौथा परीक्षण 2016, पांचवां परीक्षण जनवरी 2018 तथा आज छठा परीक्षण सफलता पूर्वक किया गया है। भारतीय मिसाइल बेड़े का सबसे शक्तिशाली बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 भारतीय सेना को विश्व के मानचित्र में मजबूती के साथ पेश करने में मिशाल पेश करेगी।
अग्नि-5 से अपना देश भारत अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस के साथ इंटर कंटीनेल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) क्लब में शामिल हो गया है। इस मिसाइल की प्रहार क्षमता घातक है। यह 20 मिनट में 5000 किमी. की दूरी तय कर लेगी। डेढ़ मीटर के लक्ष्य का भी भेदन करने में सक्षम है। यह मिसाइल देश के सामरिक रणनीति में बड़ा बदलाव लाएगी। पूरा एशिया और अफ्रीका महाद्वीप तथा यूरोप के अधिकांश हिस्से इसकी जद में होंगे। अमेरिका इसके दायरे से बाहर है। यह मिसाइल एक बार छूट गई तो रोकी नहीं जा सकती है।
यह 1000 किलो का न्यूक्लीयर वारहेड ले जाने में सक्षम है। यह भारत के मिसाइल तरकश में सबसे लम्बी दूरी तक प्रहार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। अग्नि-5 मिसाइल कैमिस्टर से छोड़ी जा सकती है। इसे सड़क के रास्ते कहीं भी पहुंचाया जा सकता है। इस खुबी के कारण इस मिसाइल को दुश्मन उपग्रह निगाहों से भी बचाया जा सकता है। इस मिसाइल के तकनीक का इस्तेमाल भारत दुष्मन के उपग्रह को भी नष्ट करने में कर सकता है।
Suryoday Bharat Suryoday Bharat