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कोरोना महामारी की भयावहता के बाद भी जारी है योगी सरकार की घनघोर लापरवाही- डा0 उमा शंकर पाण्डेय


राहुल यादव, लखनऊ। कांग्रेस प्रवक्ता डा0 उमा शंकर पाण्डेय ने आज जारी बयान में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। संक्रमित मरीजों की संख्या एवं संक्रमण से हो रही मौतें उसकी व्यापक भयावहता का स्पष्ट संकेत देती है। इसके बावजूद फर्जी जांच व झूठे आंकड़ों के बल पर भाजपा की योगी सरकार उ0प्र0 में ध्वस्त स्वास्थ्य सेवाओं पर पर्दा डालने का काम कर रही है। यह सीधे-सीधे प्रदेश की जनता के जीवन के साथ बड़ा विश्वासघात है। प्रचारजीवी उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जले पर नमक छिड़कने जैसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रैकिंग और टीकाकरण पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। वर्तमान आंकड़े स्वेच्छा से जांच कराने वालों का ही है। प्रदेश में टेस्टिंग और टीकाकरण के लिए कोई बड़ा सरकारी अभियान न चलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।    संक्रमितों और मौतों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है और सरकार कुम्भकर्णी नहीं सो रही है। स्थिति यह हो गयी है कि शवदाह गृहों पर लम्बी लाइनें लगी हैं। जिससे परिजनों को अस्पताल की दुश्वारियों के बाद अंतिम संस्कार के लिए भी  चालीस-चालीस घंटे तक प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि टेस्टिंग और ट्रेसिंग पर उदासीन सरकार के लिए एक उदाहरण पर्याप्त है कि 6 अप्रैल को सत्तारूढ़ दल के पार्टी की स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के बाद उनके प्रदेश महासचिव संगठन संक्रमित पाये गये, उनके साथ मंच साझा करने वाले किसी भी नेता या मुख्यमंत्री सहित सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे किसी भी व्यक्ति ने न तो जांच कराना उचित समझा और न ही खुद को आइसोलेट किया। मुख्यमंत्री जी चुनावी पर्यटन पर चुनावी रैलियों में हिस्सा ले रहे हैं। वह स्वयं संक्रमण बांट रहे हैं या लेकर आ रहे हैं इसकी भी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। जब शासन के मुखिया का कोरोना महामारी के प्रति संवेदनहीनता यहां तक आ चुकी है तो कोरोना संक्रमण के प्रति उनके बयानों को कौन गंभीरता से लेगा, आज यह यक्ष प्रश्न है।
डा0 उमा शंकर पाण्डेय ने कहा कि उ0प्र0 के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अस्पतालों में जहां बेडों की भारी कमी है वहीं कोरोना महामारी के इलाज हेतु समुचित चिकित्सक एवं स्टाफ भी नहीं हैं। मरीज अस्पताल के गेट पर दम तोड़ रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि विगत वर्ष कोरोना के नाम पर सरकार और प्रशासनिक अमले ने इस आपदा में भी भ्रष्टाचार का अवसर तलाश लिया था। पीपीई किट, पल्स मीटर, आक्सीमीटर और जांच के नाम पर व्यापक भ्रष्टाचार किये। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। बरेली में एक ही मोबाइल नम्बर पर 7343 रजिस्ट्रेशन दिखाये गये हैं इसमें अधिकतर एंटीजन जांच तथा कुछ आरटीपीसीआर जांच दिखाई गई हैं। इसमंे एक भी जांच पाजीटिव नहीं आई है। यह आपदा में अवसर का बड़ा उदाहरण है। सरकार में अगर जरा भी शर्म बची हुई है तो इसकी निष्पक्ष जांच करायें और दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करें।

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