अशाेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय ने 2002 गुजरात दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को 13 अप्रैल की तारीख तय की और कहा कि वह अगली तारीख में सुनवाई स्थगित करने के किसी अनुरोध को स्वीकार नहीं करेगी। जकिया दंगों में मारे गए सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने जकिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के इस अनुरोध पर गौर किया कि मामले की सुनवाई अप्रैल में किसी दिन की जाए, क्योंकि कई वकील मराठा आरक्षण मामले में व्यस्त हैं। मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है।
इससे पहले, जकिया के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा था कि याचिका पर एक नोटिस जारी करने की जरूरत है क्योंकि यह 27 फरवरी 2002 से मई 2002 तक कथित ‘बड़े षडयंत्र’ से संबंधित हैं।
उल्लेखनीय है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाए जाने में 59 लोगों के मारे जाने की घटना के ठीक एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में 68 लोग मारे गए थे। दंगों में मारे गए इन लोगों में एहसान जाफरी भी शामिल थे। घटना के करीब 10 साल बाद आठ फरवरी, 2012 को एसआईटी ने मोदी तथा 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुए ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल की थी।
क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया था कि जांच एजेंसी को आरोपियों के खिलाफ ”अभियोग चलाने योग्य कोई सबूत नहीं मिला”। जकिया ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश को 2018 में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
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