ब्रेकिंग:

न्यायपालिका का सिस्टम दरक रहा है , चीफ जस्टिस मनमाने ढंग से काम नहीं कर सकते हैं : पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चल रहे विवाद पर एक समारोह में पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढा ने कहा है कि ये दौर न्यायपालिका के लिए बड़ी चुनौती है. न्यायपालिका का सिस्टम दरक रहा है. इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो अफ़रातफ़री मच जाएगी. उन्‍होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि CJI मास्टर ऑफ़ रॉस्टर हैं, लेकिन मनमाने ढंग से काम नहीं कर सकते हैं. अब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को स्टेट्समैनशिप दिखा कर सभी जजों को साथ लेकर हल निकालना होगा.जस्टिस लोढ़ा ने सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने मंगलवार को कहा कि सीजेआई भले ही न्यायाधीशों को मामले आवंटित करने के मामले में सर्वेसर्वा हों, लेकिन यह काम निष्पक्ष तरीके से और संस्था के हित में होना चाहिए. न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि सीजेआई को नेतृत्व कौशल का परिचय देकर और अपने सहकर्मियों को साथ लेकर संस्था को आगे बढ़ाना चाहिए. न्यायमूर्ति लोढ़ा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय में आज जो दौर हम देख रहे हैं वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह सही समय है कि सहकर्मियों के बीच सहयोगपूर्ण संवाद बहाल हो. न्यायाधीशों का भले ही अलग नजरिया और दृष्टिकोण हो लेकिन उन्हें मतैक्य ढूंढना चाहिये जो उच्चतम न्यायालय को आगे ले जाए.

यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कायम रखता है. गौरतलब है कि न्यायमूर्ति लोढ़ा को भी प्रधान न्यायाधीश के तौर पर ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था , जैसा उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसफ के मामले में हुआ है. उस वक्त भी राजग सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को अलग किया था और कॉलेजियम से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की अपनी सिफारिश पर पुनर्विचार करने को कहा था. हालांकि सुब्रह्मण्यम ने बाद में खुद को इस पद की दौड़ से अलग कर लिया था. लोढ़ा ने मौजूदा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कोई उल्लेख किए बिना कहा कि मैंने हमेशा महसूस किया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है और अदालत का नेता होने के नाते सीजेआई को उसे आगे बढ़ाना है. उन्हें नेतृत्व का परिचय देना चाहिए और सभी भाई – बहनों को साथ लेकर चलना चाहिए. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए पी शाह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजग सरकार के आलोचक अरुण शौरी व न्यायमूर्ति लोढ़ा के साथ मंच साझा किया. उन्होंने भी सीजेआई की कार्यप्रणाली की आलोचना की.

न्यायमूर्ति ए पी शाह ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की मौत के मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले को बिल्कुल गलत और न्यायिक रूप से गलत बताया. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने न्यायाधीश लोया मामले में अपने फैसले में जांच की मांग को न्यायपालिका पर परोक्ष हमला कहा था. उन्होंने कहा कि कैसे जांच की मांग करना न्यायपालिका पर हमला है. पूरी व्यवस्था बेरहम हो गई है. इसके बावजूद न्यायपालिका उन आखिरी संस्थाओं में से एक है , जिसका सम्मान है , लेकिन वह बदल रहा है. शौरी ने कक्ष में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कहा कि अगर मौजूदा सीजेआई को बार – बार कहना पड़ रहा है कि वह मास्टर ऑफ रोस्टर हैं, तो इसका मतलब है कि उन्होंने नैतिक प्राधिकार खो दिया है.

Loading...

Check Also

ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्याल में त्रिदिवसीय नैक निरीक्षण का हुआ समापन

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : लखनऊ हरदोई सीतापुर रोड पर अवस्थित ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती …

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com