
अशाेक यादव, लखनऊ। हाथरस पीड़िता के परिवार ने फैसला किया कि वे अपनी बेटी की अस्थियों को तब तक विसर्जित नहीं करेंगे, जब तक कि यह पुष्टि नहीं हो जाती कि वह उनकी बेटी की ही अस्थियां हैं, जिसका पुलिस ने रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया था। पीड़िता का अंतिम संस्कार 30 सितंबर को तड़के 3 बजे कर दिया गया था।
उसके भाई ने कहा, “हमको क्या पता कि वो ही हमारी बहन थी। हमने उसका चेहरा भी नहीं देखा। मैंने अस्थियों को मानवता के आधार पर एकत्र किया क्योंकि यह किसी के पार्थिव शरीर का रहा होगा।”
भाई ने आगे कहा कि वे नार्को-पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं कराएंगे क्योंकि वे झूठ नहीं बोल रहे हैं। उसने कहा, “उन्हें आरोपियों और उन पुलिसकर्मियों पर ये टेस्ट करने चाहिए जो मामले को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।”
19 साल की पीड़िता के दो भाई और दो बहनें हैं। कथित रूप से 14 सिंतबर को ऊंची जाति के चार पुरुषों ने उसके साथ दुष्कर्म किया था और पखवाड़े भर बाद उसने दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।
परिवार इस बात से परेशान है कि जिलाधिकारी प्रवीण लक्सर के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिन्होंने कथित रूप से परिवार के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें धमकी भी दी। उन्होंने कहा, “हमसे मिलने आने वाले हर बड़े शख्स से हमने जिलाधिकारी के बारे में शिकायत की है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”
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