
अशाेेेक यादव, लखनऊ। मेडिकल प्रवेश परीक्षा एनईईटी के लिए भारत की यात्रा करना न केवल तनावपूर्ण है बल्कि अव्यावहारिक भी है। खाड़ी देशों में कई परीक्षार्थियों ने कोविड-19 के खतरे का हवाला देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक पृथक-वास में जाने सहित कई मुद्दे शामिल हैं।
कुछ उम्मीदवारों ने इस वर्ष की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) को छोड़ने का निर्णय किया है। दुबई में रहने वाले रोएस्टन मेंडोनका ने कहा, ”हमारे पास क्या विकल्प है? यह अव्यावहारिक है।
उनकी तरह के कई भारतीय छात्रों ने कहा कि एनईईटी के लिए खाड़ी देशों में परीक्षाएं आयोजित कराने से उच्चतम न्यायालय के इंकार करने से वे कहीं के नहीं रहे। उनमें से कई छात्रों की खाड़ी देशों में जेईई मुख्य परीक्षा है जबकि एनईईटी की परीक्षा भारत में उन्हें देनी है। जेईई मुख्य परीक्षा के लिए विदेशों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं लेकिन एनईईटी के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है।
परीक्षा से पहले आवश्यक पृथक-वास समय को पूरा करने के लिए भारत पहुंचना, वहां रूकने की व्यवस्था करना, फिर वापसी के लिए उड़ान की व्यवस्था करना, अतिरिक्त खर्च, कोविड-19 संक्रमण का खतरा और फिर वापसी पर पृथक-वास में जाने जैसी कई चिंताएं उम्मीदवारों के समक्ष हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनटीए) ने एनईईटी की परीक्षा 13 सितम्बर को और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मुख्य का आयोजन एक से छह सितम्बर तक कराने का निर्णय किया है।
दोहा में रहने वाली शैलजा विश्वनाथन ने कहा, ”मैंने यहां भारतीय दूतावास से संपर्क किया और मुझे बताया गया है कि हालांकि मैंने पहले आवेदन नहीं किया था लेकिन मुझे अगले वंदे भारत विमान में जगह मिल जाएगी। लेकिन परीक्षा से पहले यह काफी परेशानी वाला सबब है, जिसके लिए मैं दो वर्षों से तैयारी कर रही हूं। काश मैं दोहा में परीक्षा दे पाती लेकिन मेरे पास ज्यादा विकल्प नहीं है। मैं कैसे भी जाऊंगी।
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