
अशाेेेक यादव, लखनऊ। आज बकरीद है और दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय के लोग इसे मना रहे हैं। कोरोना का साया है और इसी कोरोना काल में हर धर्म के के त्योहार आ रहे हैं जिसकी वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय के लोग इस त्योहार का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं और इसे बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। हालांकि, इस बार बकरीद पर वो रौनक नहीं नजर आ रही क्योंकि कोरोना के कारण कई राज्यों में बंदिशें लागू हैं वहीं केंद्र सरकार ने भी भीड़ वाले आयोजन करने से रोक लगाई है।
इस्लाम धर्म में बकरीद का खास महत्व है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए उनसे उनकी सबसे प्यारी और अज़ीज़ चीज़ की कुर्बानी देने के लिए कहा था।
हज़रत इब्राहिम के लिए सबसे अज़ीज़ और प्यारे उनके बेटे हज़रत ईस्माइल ही थे। लेकिन हज़रत इब्राहिम ने बेटे के लिए अपनी मुहब्बत के बजाए अल्लाह के हुक्म को मानने का फैसला किया और अपने बेटे को अल्लाह के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए।
कहा जाता है कि जब हज़रत इब्राहिम के बेटे हज़रत ईस्माइल को इस बारे में पता चला तो वे भी कुर्बान होने के लिए राज़ी हो गए। हज़रत इब्राहिम ने आंखें बंद करके जैसे ही अपने बेटे की गर्दन पर छुरी चलाई तो अल्लाह ने उनके बेटे की जगह दुंबा भेज दिया। इस तरह उनके बेटे बच गए और दुंबा कुर्बान हो गया। इसके बाद से ही अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू हो गया।
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