
अशाेेेक यादव, लखनऊ। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की चालबाजी एक बार फिर उजागर हुई है। खबर है कि चीनी सेनाएं टकराव वाले स्थानों से तो पीछे हटी हैं, लेकिन बफर जोन के लिए जो दूरी तय की गई थी, उसका पालन चीनी सेना ने नहीं किया है। जबकि पेंगोंग में फिंगर-5 से भी चीनी सेना पीछे नहीं हटी है।
हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में यह तय हुआ था कि गलवानी घाटी, गोगरा, हाट स्प्रिंग्स से दोनों देशों की सेनाओं को 1.5 किमी पीछे हटना है। इस प्रकार बीच में तीन किलोमीटर का एक बफर जोन बन जाता। 30 जून को सैन्य कमांडरों की बैठक में इस अस्थाई बफर जोन को बनाने की बात हुई थी ताकि मौजूदा टकराव को टाला जा सके।
बीच में मीडिया में आई खबरों में यह दावे किए गए कि चीनी सेना दो-तीन किमी पीछे हट गई है। लेकिन वास्तव में सभी स्थानों पर ऐसा हआ नहीं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि तीनों स्थानों से चीनी सेना पीछे हटी जरूरी है लेकिन सहमति के मुताबिक हाट स्प्रिंग्स एवं गोगरा में डेढ़ किमी भी पीछे नहीं हटी है। अलबत्तश गलवान घाटी में पीछे हटी है।
सैन्य कमांडरों की बैठक के तहत सेना के पीछे हटने की पुष्टि भी की जानी थी। भारतीय सेना ने पुष्टि की है तथा पाया कि चीनी सेना को और पीछे हटने की जरूरत है। इस बारे में सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा क इस प्रक्रिया में समय लगेगा। हो सकता है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कुछ और बैठकें हों। सेना के सूत्रों ने कहा कि टकराव वाले क्षेत्रों से जब तक सेनाएं पीछे नहीं हटती हैं तब तक गतिरोध कायम रह सकता है। इसमें पहल चीन को करनी है।
Suryoday Bharat Suryoday Bharat