
अशोक यादव, लखनऊ। कोरोना महामारी से पूरी दुनिया में करने वाले लोगों का आंकड़ा डेढ़ लाख के पार पहुंच चुका है।
अभी यह लगातार बढ़ रहा है। इनमें सबसे ज्यादा मौतें करीब 1 लाख, अकेले यूरोपीय देशों में हुई हैं।
जबकि अमेरिका में सबसे ज्यादा तबाही मची है। अमेरिका में अब तक 38,910 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस अभूतपूर्व संकट में डालने के लिए दुनिया भर के देशों में चीन के प्रति नाराजगी और आक्रोश है।
कई खबरें आई हैं कि यह महामारी चीन के वुहान में स्थित उसकी प्रयोगशाला से निकला है।
ऐसे में आशंका है कि क्या चीन ने जानबूझ कर इस वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।
पूरे विश्व में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 23 लाख+, 1.5 लाख से ज्यादा+ मौत और 4.5 अरब लोग घरों में कैद
चीन पूरी दुनिया की नजरों में अपराधी बन गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तो चीन और संयुक्त राष्ट्र दोनों से बेहद खफा हैं।
ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि चीन ने जानबूझकर महामारी फैलाई है तो उसे नतीजे भुगतने होंगे। ट्रंप का आक्रोश जाजय भी है। अमेरिका सबसे ज्यादा इस महामारी से पीड़ित है।
ट्रंप की तरह ऑस्ट्रेलिया भी मानता है कि इस महामारी के पीछे कुछ तो वजह है।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारीज पायने ने कहा है कि कोरोना वायरस के वैश्विक संक्रमण की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
पायने ने कहा, इस जांच में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका भी अहम होनी चाहिए।
ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की बात से वो भी सहमत हैं।
चीन ने पूरे मामले में पारदर्शिता नहीं बरती है।
मारीज पायने ने कहा, इस महामारी के बाद चीन और ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों में बदलाव आएगा।
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी चीन पर सवाल उठा चुके हैं।
मैक्रों ने कहा था, चीन ने इसे ठीक से मैनेज नहीं किया। मैक्रों ने भी चीन की पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए थे।
जापान ने चीन से अपने व्यापारिक रिश्ते सीमित करने का निर्णय लिया है।
तमाम यूरोपीय कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेटने में जुट गई हैं।
Suryoday Bharat Suryoday Bharat