
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में रेलवे की वेवसाईट को इंटरनेट हैकर प्रतिबंधित सॉफ्टवेयरों की मदद से तत्काल ई -टिकिट बुकिंग में चुना लगा रहे थे। सात प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर बरामद कर चुकी आरपीएफ के मुताबिक महज 2500 से 3000 में उपलब्ध ये सॉफ्टवेयर इतने तेज हैं कि आईआरसीटीसी की साइट इनके सामने पानी भरती नजर आती है।
प्रतिबंधित सॉफ्टवेयरों से ई-टिकट की बुकिंग व इसकी कमाई से टेरर फंडिंग का मामला उजागर होने के बाद शुरू पड़ताल में टिकट दलाली से की गई करोड़ों की कमाई की परतें खुलती जा रही हैं।
बरामद प्रतिबंधित सॉफ्टवेयरों में सबसे ताकतवर रेड मिर्ची है। यह महज 40 सेकेंड में 20 तत्काल टिकट बुक कर देता था। आलमबाग बाराबिरवा के प्रकाश कॉम्प्लेक्स के किंग-विंग टूर एंड ट्रैवेल कंपनी पर छापा मारकर यह सॉफ्टवेयर बरामद किया गया था।
अब तक रेड मिर्ची, बीकॉस्यू, टी सिस्टम, आई स्मार्ट, चाइना, क्लाउड, ग्लोबल साइकिल नामक सॉफ्टवेयर हो चुके बरामद हो चुके हैं।
टिकट एजेंटों को स्लीपर टिकट की बुकिंग पर 20 रुपये और एसी में 40 रुपये कमीशन मिलता है। जबकि प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से बने टिकट पर वे मनमाने रेट वसूलते हैं। दलाल दिल्ली व जम्मू की ट्रेनों में स्लीपर के कन्फर्म टिकट के लिए 300 से 500 रुपये तक लेते हैं। जबकि एसी बोगियों के लिए 1000 से 1200 रुपये वसूलते हैं।
त्यौहार के सीजन में तो पांच से सात हजार रुपये तक की वसूली की जाती है। दलालों पर रेलवे एक्ट की धारा 143 के तहत कार्रवाई होती है। इसमें तीन साल की सजा व 10 हजार रुपये जुर्माना है। लाखों की कमाई करने वाले दलालों को इसका कोई खौफ नहीं है।
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