नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. चुनाव आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले में केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने पार्टी को यह फटकार लगाई कि आपने चुनाव आयोग की सुनावई में सहयोग नहीं किया. हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति को भेजे गये सिफारिश की कॉपी दिखाने को भी कहा. अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी. कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि वह उसे अविलंब बताए कि क्या आयोग ने राष्ट्रपति को इस तरह की कोई सिफारिश की है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि वह निर्देश लें और घटनाक्रम के बारे में उसे सूचित करे ताकि सुनवाई शीघ्र बहाल की जा सके. बता दें कि चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है और इसकी सिफारिश राष्ट्रपति से भी कर दी है. चुनाव आयोग के इस फैसले के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी ने अंतरिम राहत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, मगर फिलहाल वहां से भी आम आदमी पार्टी को राहत नहीं मिली.
अगर राष्ट्रपति, चुनाव आयोग की सिफारिशों पर अपनी मंजूरी दे देते हैं, तो 20 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव कराने की अनिवार्यता हो जाएगी. अभी आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा में किसी तरह का खतरा नहीं है. क्योंकि पार्टी के पास 70 में से 66 सीटें हैं. अगर इनके 20 विधायक अयोग्य हो भी जाते हैं तो इनके पास 46 सीटें बचेंगी, जो बहुमत के आंकड़े से ऊपर है. यानी कि अभी भी केजरीवाल सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है.
बता दें कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. जिसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने इस पूरे प्रकरण को लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. राष्ट्रपति ने मामला चुनाव आयोग को भेजा और चुनाव आयोग ने मार्च 2016 में 21 आप विधायकों को नोटिस भेजा, जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई थी.
आशुतोष ने ट्वीट के जरिये कहा कि ‘सेशन के दौरान रिपोर्टर के तौर पर चुनाव कवर करने वाला मेरे जैसा शख्स भी आज कह सकता है कि चुनाव आयोग कभी इतना नीचे नहीं गिरा.’
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