नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप झेल आरोप पी. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज के फैसले पर सवाल उठाए हैं जिन्होंने पी. चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. कपिल सिब्बल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की ओर से सौंपे गए दस्तावेजों को आसानी से स्वीकार कर लिया और पी. चिदंबरम को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया. कपिल सिब्बल ने कहा, दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी में पैराग्राफ में सीबीआई और ईडी के नोट का अक्षरश: कॉपी किया गया है, कॉमा से लेकर वाक्यों तक को कॉपी कर लिया गया है. एजेंसियों को नोट कोर्ट के लिए निष्कर्ष बन गए. जज ने अपने दिमाग का इस्तेमाल कहां किया? आपको बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका को अस्वीकार करते हुए उनके लिए अंग्रेजी के शब्द ‘किंगपिंन’ यानी सरगना जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई मंगलवार को भी होगी.
सोमवार को पी. चिदंबरम को उस समय झटका लगा था जब सीबीआई हिरासत के खिलाफ उनकी याचिका को लिस्ट नहीं किया गया था. कोर्ट ने कहा गिरफ्तारी होने के बाद अब यह याचिका प्रभावहीन हो चुकी है. अब उन्हें नियमित जमानत के लिए उचित कोर्ट में जाना होगा. आज के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के लिए इसलिए भी अहम क्योंकि आज ही सुप्रीम कोर्ट से मिली उन्हें गिरफ्तारी के संरक्षण की अवधि भी खत्म हो रही है. इससे पहले सोमवार को ईडी ने चिदंबरम के खिलाफ एक अलग से हलफनामा सौंपा था जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इसमें कहा गया है कि चिदंबरम और उनके खास सहयोगियों ने भारत और विदेश में कई शेल कंपनियां बनाकर काले धन को सफेद बनाने का अपराध किया है.दरअसल पी. चिदंबरम के आरोप है कि जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे तो उन्होंने अपने बेटे कार्ति चिदंबरम के कहने पर विदेश निवेश के लिए सुविधा दी थी.
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