नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में हो रही देरी को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े किये हैं और मोदी सरकार पर निशाना साधा है. शुक्रवार को लोकसभा में केरल से आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव में देरी स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार कह रही है कि सुरक्षा कारणों की वजह से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं कराये गये. मैं पूछना चाहता हूं कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए सुरक्षा उपलब्ध थी तो फिर विधानसभा चुनाव के लिए सुरक्षा उपलब्ध क्यों नहीं है ?
सदन में प्रेमचंद्रन ने कहा- मैं जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं क्योंकि इससे एलएसी के पास रहने वाले साढ़े तीन लाख लोगों को लाभ मिलेगा. लेकिन साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर राजनीति न की जाए, वहां के लोग पहले से ही परेशान हैं. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सूबे में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में बार-बार राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने की जड़ें 2015 में हुए भाजपा-पीडीपी गठबंधन से जुड़ी हुई हैं. 2015 में जो यह गठबंधन हुआ था वह पूरी तरह से दो अलग विचारधाराओं का गठबंधन था जिसके बाद कश्मीर परिस्थतियां और ज्यादा बिगड़ गईं.
उन्होंने कहा कि यह इस देश के हित में नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार नहीं है. यदि जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार होगी तो वहां आतंकवाद से लड़ने में मदद मिलेगी. सांसद प्रेमचंद्रन की बात का समर्थन करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि जब राज्य में लोकसभा के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हो सकते हैं तो फिर विधानसभा चुनाव उसके साथ क्यों नहीं कराये गये. सदन में मनीष तिवारी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने का विरोध करते हैं. उल्लेखनीय है कि राज्य में राज्यपाल शासन जून 2018 में लगाया गया था जब भाजपा ने प्रदेश में गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और पीडीपी नीत सरकार अल्पमत में आ गयी थी. दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.