वॉशिंगटन: पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अजहर पर शिकंजा कसने के लिए भारत जी जान से जुटा है। भारत को कोशिश मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की है, लेकिन चीन बार-बार इसमें रोड़ा अटका रहा है। हालांकि दुनिया की महाशक्ति अमेरिका इस मामले में भारत के साथ है और चीन पर दबाव बनाने की कोशिश भी कर रहा है। अमेरिका मसूद अजहर के मामले में भारत की मदद के बदले उससे बड़ी कुर्बानी मांग रहा है।दरअसल मसूद की आड़ में अमेरिका खुद भी भारत से एक अन्य मामले में मदद चाहता है।
दरअसल अमेरिका, भारत द्वारा ईरान से किए जाने वाले तेल आयात पर पाबंदी चाहता है। बता दें कि अमेरिका ने बीते साल दुनियाभर के देशों पर नवंबर में ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका ने इसके लिए विभिन्न देशों को 6 माह का समय दिया था। जिसकी अवधि आगामी 1 मई को समाप्त हो रही है। भारत भी ईरान से बड़ी मात्रा में तेल का आयात करता है। यही वजह है कि अमेरिका ने भारत को भी ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। खबर के अनुसार, अमेरिका ने भारत को चाबहार बंदरगाह के विकास के मामले में छूट दे दी है,
लेकिन वह ईरान से तेल आयात पर पूरी पाबंदी चाहता है। एक अंग्रेजी अखबार में छपे आंकड़ों के अनुसार, भारत ने साल 2018-19 में ईरान से 24 मिलियन टन तेल आयात किया। अब अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद भारत को किसी अन्य तेल आपूर्तिकर्ता देश से इसकी भरपाई करनी होगी। सऊदी अरब और यूएई भारत को इस तेल की भरपाई करने के लिए तैयार भी हैं। अमेरिका अधिकारियों का एक दल इन दिनों भारत आया हुआ है, जो कि ईरान पर तेल पाबंदी के मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत करेगा।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका का दावा है कि ईरान तेल से हो रही कमाई से विद्रोही गुटों और आतंकी संगठनों को फंडिंग कर रहा है, साथ ही ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को भी चोरी-छिपे संचालित कर रहा है। यही वजह है कि अमेरिका ने ईरान के तेल आयात पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है। हालांकि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाया गया प्रतिबंध भारत के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। चूंकि भारत की अपनी बढ़ती तेल जरुरतों के लिए तेल निर्यात पर काफी निर्भरता है, इसलिए अमेरिका द्वारा ईरान से तेल आयात पर पाबंदी भारत के लिए काफी मुश्किलें ला सकती हैं। इसके अलावा भारत की ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह पर रणनीतिक साझेदारी भी है। ऐसे में भारत के सामने अमेरिका को खुश रखने के साथ ही ईरान को भी अपने से दूर नहीं जाने देने की चुनौती है।
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