बीजिंग/काराकस: वेनेजुएला में सत्ता के लिए चल रही राजनीतिक उठा-पटक बढ़ती जा रही है। यहा सत्ता के संघर्ष का खेल धीरे-धीर अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। ताजा घटनाक्रम में विपक्ष के नेता जुआन गुएडो ड्रैगन को अपने पक्ष में करने के लिए चीन की यात्रा पर हैं। उनकी इस चीनी यात्रा पर अमेरिका की पैनी नजर है। उनकी यह यात्रा इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि चीन और रूस के राष्ट्रपति मादुरो के पक्ष में हैं। ऐसे में गुएडो चीन को आश्वस्त करेंगे कि यदि वह मादुरो को बाहर करने में सफल रहे तो द्विपक्षीय समझौतों का सम्मान करेंगे। गुएडो की इस यात्रा पर अमेरिका समेत लैटिन अमेरिकी देशों की नजर है। यदि वह चीन को अपने पक्ष में लाने में सफल हो जाते हैं तो यह उनकी बड़ी जीत मानी जाएगी।
बता दें कि गुएडो द्वारा खुद को लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला का अंतरिम नेता घोषित किए जाने के बाद राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने यूरोपीय देशों द्वारा राष्घ्ट्रपति चुनाव के आह्वान को खारिज कर दिया है। मादुरो ने स्पेनिश टेलीविजन के साथ रविवार को एक साक्षात्कार में कहा कि वह किसी दबाव में आकर देश में राष्ट्रपति चुनाव की अनुमति हरगिज नहीं देंगे। मादुरो ने कहा कि यूरोपीय देश का यह अल्टीमेटम टकराव को चरम स्थिति तक पहुंचाने वाला है। इस बीच वेनेजुएला की राजनीतिक-आर्थिक समस्या पर विचार करने के लिए कनाडा और लैटिन अमेरिकी देशों का समूह लीमा सोमवार को ओटावा में मिल रहा है। यह 14 राष्ट्रों का समूह है। इसके सदस्य देशों ने गुएडो को मान्यता दी है। यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी राज्यों ने वेनेजुएला संकट का हल निकालने के लिए 90 दिन का वक्घ्त देते हुए संपर्क समूह का गठन किया है।
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