नई दिल्ली: मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले अपने अंतरिम बजट में दो बड़े चुनावी दांव चल दिए हैं. पहले तो छोटे किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की आर्थिकमदद देने का ऐलान दिया है. इस ऐलान के साथ कोशिश की गई है देश में किसानों के अंदर हाल ही में सरकार के खिलाफ उपजे गुस्से को ठंडा किया जा सकेगा. क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही आलू किसानों ने फसल की सही लागत न मिलने पर पीएमओ को मंडी में मिले बिल भेजे थे. इससे पहले खेती से जुड़े मुद्दों पर सरकार के खिलाफ कई आंदोलम भी चुके हैं. दूसरी ओर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने सरकार बनाने के बाद कर्ज माफी ऐलान किया है. विधानसभा चुनाव से पहले ही राहुल गांधी ने किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया था और अब वह लोकसभा चुनाव के प्रचार में भी ऐसा ही ऐलान कर रहे हैं.
इससे पहले माना जा रहा था कि मोदी सरकार भी किसानों के कर्जमाफी का ऐलान कर सकती है. लेकिन अब सीधे आर्थिक मदद देने का ऐलान कर मोदी सरकार ने बड़ा दांव खेला है. वहीं दूसरी ओर 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मध्यम वर्ग को बड़ी संख्या में वोट मिले थे और लेकिन सरकार बनने के बाद से इस आर्थिक वर्ग खासकर शहरी मध्यम वर्ग के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं किया था. लेकिन मोदी सरकार ने टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव कर दिया है. अब 5 लाख रुपये की सालाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लेकिन इससे ज्यादा सालाना आय वालों के लिए टैक्स के पुराने नियम ही जारी रहेंगे. इसके साथ ही बैंक ब्याज और डिपोजिट पर मिलने वाले ब्याज पर भी 40000 हजार तक कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा.
वहीं स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी 40 हजार से 50 हजार तक की छूट दे दी है. दूसरी ओर से 6.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर भी कोई टैक्स नहीं मिलेगा. तीसरा सबसे बड़ा दांव नौकरीपेशा वाले लोगों के लिए अब ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये कर दी गई है. वहीं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की पेंशन 1 हजार रुपये महीने से 3 हजार रुपये कर दिया गया है. ईपीएफओ के अंतर्गत बीमा को 6 लाख रुपये कर दिया है. दूसरी ओर न्यूनतम आय वाले मजदूर जिनकी आय 15 हजार रुपये उनमें से आकस्मिक मौत हो जाने पर परिवार को 6 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. दूसरी ओर 21 हजार रुपए की सालाना सैलरी पर अब बोनस दिया जाएगा.