
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने विधानसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित विशेष चर्चा में सहभाग करते हुए कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता के प्रति हमारी आस्था, सम्मान और राष्ट्रीय संकल्प का उद्घोष है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् वह मंत्र है, जिसने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए जनमानस में चेतना जगाई और 1857 की क्रांति जैसी ऐतिहासिक घटनाओं के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
मंत्री ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री एवं अन्य सदस्यों द्वारा वंदे मातरम् की रचना, उसकी प्रस्तावना और ऐतिहासिक महत्ता पर विस्तृत विचार रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् भारत माता का श्रृंगार और गौरव है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कोई मिट्टी का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक जीवंत राष्ट्रपुरुष है, जिसकी नदियां हमारे लिए गंगा हैं और जिसके कण-कण में आस्था समाहित है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद जन्मी नई पीढ़ी को वंदे मातरम् की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उसकी भावना और उसके रचयिता के विचारों से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है।
कश्यप ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 51 के अंतर्गत राष्ट्र के गौरव और आदर्शों का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। वंदे मातरम् जहां हमारी आस्था और भारत माता के सम्मान का प्रतीक है, वहीं यह संवैधानिक दृष्टि से भी राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध कराता है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् किसी पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे भारत का गौरव है। उन्होंने सभी वर्गों, समुदायों और धर्मों से आह्वान किया कि वंदे मातरम् को अपने हृदय में स्थान दें, ताकि देश और प्रदेश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके।
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