
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2025’ के अवसर पर बीबीएयू एवं नेशनल पब्लिक स्कूल, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में ‘परंपरा से रूपांतरण तक भारतीय शिक्षा की पुनर्कल्पना — राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जन्मजयंती एवं राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर से सेवानिवृत्त एवं प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. विनोद सोलंकी, शिक्षा विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, प्रो. हरिशंकर सिंह, नेशनल पब्लिक स्कूल, लखनऊ की प्रधानाचार्या डॉ. अर्चना सिंह एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुभाष मिश्रा उपस्थित रहे। विभागाध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुभाष मिश्रा ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य डॉ. शिखा तिवारी द्वारा किया गया।

बीबीएयू कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हमें विकसित भारत की परिकल्पना को साकार रूप देना है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बने और इन सभी स्तरों पर नागरिकों के बीच समानता और सहभागिता हो। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और हमें मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि सन् 2047 तक भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हुए 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करें।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति मात्र एक दिन के प्रयास का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हजारों-लाखों शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, विद्यार्थियों तथा अभिभावकों जैसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हितधारकों के व्यापक परामर्श और विचार-विमर्श का फल है। प्रो. तनेजा ने कहा कि भारत के पास अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत है, और NEP 2020 इसी भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित करते हुए आधुनिक युग की आवश्यकताओं से जोड़ती है।
शिक्षाविद् प्रो. विनोद सोलंकी ने अपने उद्बोधन में प्राच्य शिक्षा की अवधारणा को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करते हुए स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द तथा प्रो. विशंभर शरण पाठक की शिक्षा संबंधी परिभाषाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन का माध्यम नहीं, बल्कि सनातनी प्रखरता और भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
विद्यार्थियों के लिए 4 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 100 विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संबंधित विभिन्न उप-विषयों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत करें। अंत में प्रो. हरिशंकर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू, प्रॉक्टर प्रो. राम चंद्रा, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं बीबीएयू और नेशनल पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी मौजूद रहे।
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