
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार 14 अक्टूबर को एमीनेंट लेक्चर सीरीज समिति एवं भूविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एमीनेंट लेक्चर व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘पृथ्वी की आपदाओं की स्मृति: आज की मानवजनित चुनौतियों के लिए प्राचीन विज्ञानों से मिली सीख’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एम.जी. ठक्कर उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू, कमेटी ऑफ ऐमीनेंट लेक्चर सीरीज की चेयरपर्सन प्रो. शिल्पी वर्मा एवं भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नरेन्द्र कुमार उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प्रो. शिल्पी वर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य और रूपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य डॉ. शिखा तिवारी ने किया।

बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एम.जी. ठक्कर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ब्रह्मांड और हमारी आकाशगंगा (गैलेक्सी) में भी समय-समय पर परिवर्तन की आवश्यकता होती है। उन्होंने पृथ्वी के विभिन्न भाग जैसे स्थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल के पारस्परिक संबंधों एवं उनके संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की। प्रो. ठक्कर ने सौर पवन (Solar Wind) और अंतरतारकीय अंतरिक्ष (Interstellar Space) के बीच की सीमा रेखा में अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि यह क्षेत्र हमारे सौरमंडल की स्थिरता और ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करता है। प्रो. ठक्कर ने यह भी रेखांकित किया कि पृथ्वी का हर परिवर्तन, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, हमारे पारिस्थितिक तंत्र और जीवन के विकास में एक नई दिशा जोड़ता है।
डॉ. शिखा तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया, समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, अधिकारीगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।