
सूर्योदय भारत समाचार सेवा : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को सभी चुनावों की मां कहा जाना अतिशयोक्ति नहीं है। 243 सीटों वाले इस महायुद्ध में न सिर्फ केंद्रीय सत्ता का भविष्य दांव पर है, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक साख, विपक्षी महागठबंधन की एकजुटता और प्राशांत किशोर जैसे नए लेकिन अनुभवी प्लेयर्स का भविष्य भी अधर में लटक रहा है। 7.42 करोड़ मतदाताओं, जिनमें 14 लाख नए वोटरों के बीच यह चुनाव विकास, बेरोजगारी, जाति समीकरण और प्रवासन जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। सर्वे में एनडीए को 128-135 सीटें, महागठबंधन को 98-105, जन सुराज को 12-15 और अन्य को 2-4 मिलने का अनुमान है।
उपरोक्त आंकड़े बताते हैं कि एनडीए का विकास मॉडल जैसे सड़कें, बिजली और महिला सशक्तिकरण मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है, खासकर महिलाओं और ईबीसी वर्ग में इसका ख़ासा प्रभाव है। जहाँ एक तरफ 12 अक्टूबर को एनडीए ने बिना किसी शोर गुल के सीट बंटवारा फाइनल कर लिया, जिसमें भाजपा और जेडीयू को 101-101, चिराग पासवान की एलजेपी (राम विलास) को 29, राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 6-6 सीटों पर सहमति बनी है।
दूसरी ओर महागठबंधन का सीएम फेस बने हुए तेजस्वी यादव का युवाओं के साथ जुड़ाव और बेरोजगारी ख़त्म करने के दावों का भी गहरा असर देखने को मिल सकता है। मेरे अनुमान में आरजेडी को 60-65 सीटें मिल सकती हैं ! यूं तो जेवीसी पोल में 10-11% वोट शेयर के साथ जन सुराज को 4-6 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन मेरा सर्वे 12-15 सीटों का अनुमान लगा रहा है।
कुल मिलाकर देखें तो सर्वे एनडीए को बहुमत देता है और यदि नतीजे 128-135 सीटों के आसपास रहे, तो नीतीश कुमार पांचवीं बार सीएम बनेंगे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। ऐसे में बिहार चुनाव में 14 नवंबर को ही साफ होगा।
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