
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा, जो एक सक्रिय पर्यावरणविद् हैं और लवणीय क्षरित भूमि के पुनरुद्धार, कृषि स्थिरता में वृद्धि तथा किसानों की अर्थव्यवस्था सशक्त बनाने के कार्य में निरंतर संलग्न हैं, को उनके ‘पर्यावरणीय स्थिरता में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए सम्मानित किया गया।

प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा को यह सम्मान इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी: इनोवेशंस, चैलेंजेज़ एंड सॉल्यूशंस (ICESICS 2025) के दौरान अल्माटी, कज़ाख़स्तान में प्रदान किया गया। यह पुरस्कार अल-फाराबी कज़ाख नेशनल यूनिवर्सिटी, अल्माटी द्वारा प्रदान किया गया, जिसे विश्वविद्यालय के वाइस-रेक्टर प्रो. मारगुलान इब्राइमोव और बायोटेक्नोलॉजी विभाग की अध्यक्ष प्रो. आइडा किस्टाउबायेवा ने प्रो. अरोड़ा को सौंपा।
प्रो. अरोड़ा ने माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग कर उत्तर प्रदेश के मध्य क्षेत्र की लवणीय भूमि को पुनर्जीवित किया है। इसके अतिरिक्त, एक सहयोगात्मक परियोजना के तहत प्रो. अरोड़ा की यह तकनीक उज़्बेकिस्तान में भी क्षरित पारिस्थितिक तंत्रों के पुनर्स्थापन हेतु अपनाई गई।
प्रो. अरोड़ा के नाम पर पर्यावरण और कृषि स्थिरता के क्षेत्र में 200 से अधिक शोध पत्र प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। इसके अलावा, उन्होंने स्प्रिंगर और एल्सेवियर जैसे प्रकाशकों के माध्यम से 50 से अधिक पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। वे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा जारी सूची के अनुसार पिछले चार वर्षों से लगातार विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में शामिल हैं। हाल ही में उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य में एक बायोफर्टिलाइज़र उत्पादन इकाई भी स्थापित की है।
प्रो. अरोड़ा ने न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया है, जिसके लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में उन्होंने अल-फाराबी कज़ाख नेशनल यूनिवर्सिटी, अल्माटी के साथ भारत और कज़ाख़स्तान में क्षरित पारिस्थितिक तंत्रों के पुनर्स्थापन पर संयुक्त शोध कार्य हेतु सहयोग प्रारंभ किया है।