
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में गुरुवार 25 सितंबर को एमीनेंट लेक्चर सीरीज समिति की ओर से आयोजित एमीनेंट लेक्चर व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का समग्र दृष्टिकोण’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.बी. निमसे उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मंच पर कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह एवं कमेटी ऑफ ऐमीनेंट लेक्चर सीरीज की चेयरपर्सन प्रो. शिल्पी वर्मा उपस्थित रहीं। मंच संचालन का कार्य डॉ. प्रीति गुप्ता ने किया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमें उनके दर्शन को गहराई से समझने की आवश्यकता है, क्योंकि भारत की आर्थिक प्रगति उनके सिद्धांतों से जुड़ी हुई है। उनका दर्शन समाजवाद पर आधारित था, जो सबको साथ लेकर चलने की बात करता है। उन्होंने पूँजीवाद और समाजवाद के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि जहाँ पूँजीवाद व्यक्तिवाद पर केंद्रित होता है, वहीं समाजवाद सामूहिकता (collectivism) से जुड़ा हुआ है और सभी को समान अवसर देने पर बल देता है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस.बी. निमसे ने कहा कि भारत में आधुनिक शिक्षा की नींव मैकॉले मिनट्स से रखी गई थी। इसके पश्चात शिक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा परिवर्तन तब आया जब 1857 में कोलकाता, बंबई और मद्रास विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम और राधाकृष्णन कमिशन का योगदान भी ऐतिहासिक महत्व रखता है। यद्यपि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के पाँच वर्ष पूरे हो चुके हैं, परंतु इसके क्रियान्वयन की सफलता नियमित और फार्मेटिव मूल्यांकन से ही सुनिश्चित होगी।
कुलपति एवं मुख्य अतिथि द्वारा एशियन शुगर जरनल का भी विमोचन किया गया।कार्यक्रम में विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, अधिकारीगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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