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“रतन” की ग़ज़लों और नीतू-छाया की गायिकी का समा

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : उ0प्र0 सचिवालय में निजी सचिव के पद पर कार्यरत रतन कुमार श्रीवास्तव ‘रतन’ की ग़ज़लों पर दूसरी किताब ‘ख़्वाबों का ताना-बाना’, जो देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है, के विमोचन के अवसर पर, जिसमें पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन सहित तमाम वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तथा वरिष्ठ साहित्यकारों की मौजूदगी तथा सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थित में रतन कुमार श्रीवास्तव ‘रतन’ की बेहतरीन ग़ज़ल ‘कोई तो बताए कि ये ख़ुमारी क्यूँ है, वर्षों बाद भी इतनी बेक़रारी क्यूँ है’ को श्रीमती नीतू श्रीवास्तव ने अपनी दिलकश एवं मख़मली आवाज़ में गाकर महफ़िल में रौनक बिखेर दी।

वहीं दूसरी ओर श्रीमती छाया चौबे ने भी रतन की ग़ज़ल ‘मुद्दत से जो मेरे साथ है, वही मेरा दाहिना हाथ है, मिलकर चले यूँ साथ हम, न देखा दिन है कि रात है’ गाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। रतन द्वारा रची तथा नीतू तथा छाया जैसी गायिकाओं द्वारा गाई ग़ज़लों ने महफ़िल में चार चाँद लगा दिया।

समारोह में उपस्थित सभी श्रोता, दर्शक अपनी बंद जुबां से बस यही गुनगुनाते रहे कि ‘कोई तो बताए कि ये खुमारी क्यूँ है, वर्षों बाद भी इतनी बेक़रारी क्यूँ है।’

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