
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार 13 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव समिति की ओर से ‘स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि एवं वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्री सतीश कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से कुलपति एवं मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनका स्वागत किया गया। सर्वप्रथम आजादी का अमृत महोत्सव समिति की अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो. शिल्पी वर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज के समय में देश को स्वावलंबी होना अत्यंत आवश्यक है। इसीलिए हमें अपनी शक्ति को पहचानकर उसके अनुरूप कार्य करने की आवश्यकता है। स्वरोजगार भारत की एक विशेषता है, और आज के समय में भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए आर्थिक विषयों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। प्रो. मित्तल ने बताया कि वर्तमान में हम विदेशी मानसिकता से जकड़े हुए हैं, इसीलिए केवल स्वदेशी के माध्यम से ही हम अपने आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण को सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी विचारधारा प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग कर संसाधनों का अनुचित दोहन करती है क्योंकि उनका मुख्य सिद्धांत ‘उपयोग’ नहीं बल्कि ‘उपभोग’ है, जबकि भारतीय विकास मॉडल की मूल भावना स्वदेशी है। भारत की पारिवारिक व्यवस्था हमारी समृद्धि और संस्कृति का आधार है, और स्वदेशी को अपनाकर हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को बढ़ावा देते हैं।

मुख्य अतिथि एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार शेर शिकार करने से पूर्व पीछे मुड़कर अवलोकन करता है, उसी प्रकार हमें भी स्वतंत्रता के पथ पर आगे बढ़ने से पहले यह ‘सिंहावलोकन’ करना चाहिए कि कितनी पीढ़ियों के अथक संघर्ष और बलिदान के बाद हमें यह आज़ादी प्राप्त हुई है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अनेक प्रेरक प्रसंगों और कहानियों का उल्लेख किया तथा बताया कि ‘वंदे मातरम्’ गीत को वर्तमान स्वतंत्रता का बीजारोपण कहा गया है। इसके साथ ही उन्होंने स्वदेशी आंदोलन, बंग-भंग आंदोलन, नमक सत्याग्रह जैसे जन-आंदोलनों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री कुमार ने बताया कि 15वीं शताब्दी में भारत का इतिहास इतना स्वर्णिम था कि विश्व के कोने-कोने से लोग यहाँ शिक्षा, दर्शन, नवाचार और व्यापार के लिए आते थे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि भारत को पुनः ‘सोने की चिड़िया’ और ‘विश्वगुरु’ बनाने के लिए आगे आना होगा।

कार्यक्रम के दौरान कुलपति एवं मुख्य अतिथि द्वारा विद्यार्थियों की ओर से पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया गया। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत तिरंगा झंडा वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त सभी को ‘नशा मुक्ति’ एवं ‘स्वदेशी अपनाओ’ की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के अंत में आयोजन समिति की ओर से स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट करके सम्मानित किया गया।

समस्त कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव डॉ. अश्विनी कुमार सिंह, प्रॉक्टर प्रो. एम.पी. सिंह, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।