
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, उरई : उरई और आस-पास के क्षेत्र में समाजसेवा और कृषि विकास के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ने वाले वयोवृद्ध समाजसेवी जगन्नाथ लल्ला (सोमई वाले) का प्रातः 7 बजे 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे अपने जीवन के अंतिम दिनों में अपनी पुत्री मंजनी देवी के पटेल नगर, कुर्मी कॉलोनी स्थित आवास पर रह रहे थे।
जगन्नाथ लल्ला का जीवन सादगी, ईमानदारी और समाज के प्रति समर्पण का जीवंत उदाहरण था। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। वैदिक इंटर कॉलेज, सोमई के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने न केवल विद्यालय के शैक्षिक स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयास किया, बल्कि विद्यार्थियों में संस्कार और अनुशासन का बीजारोपण भी किया। वे शिक्षा को केवल पुस्तकों तक सीमित न मानकर जीवन मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारी का माध्यम मानते थे।
एक प्रगतिशील कृषक के रूप में उन्होंने कृषि को केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि समाज को पोषण देने का पवित्र कार्य माना। नई-नई तकनीकों और खेती के उन्नत तरीकों को अपनाकर उन्होंने ग्रामीण किसानों के बीच जागरूकता फैलाने का कार्य किया। कई युवा किसान उनके मार्गदर्शन से प्रेरित होकर खेती में नई दिशा पाए।
जगन्नाथ लल्ला के व्यक्तित्व में विनम्रता और सहजता का अनोखा संगम था। वे समाज के हर वर्ग के लोगों के बीच समान रूप से लोकप्रिय थे। अपने जीवन में उन्होंने कई बार जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे बढ़कर कदम उठाए, चाहे वह शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराना हो, बीमारों की सेवा हो या किसी सामाजिक आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाना हो।
उनके परिवार में पांच पुत्रियां हैं। अंत समय में वे अपनी पुत्री मंजनी देवी के पास रहे। शनिवार को उनके पार्थिव शरीर को उरई स्थित मोक्षधाम ले जाया गया, जहाँ बड़े धूमधाम और सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। मुखाग्नि उनकी पुत्री मंजनी देवी के मंझले पुत्र अरविंद कुमार, जो इमिलिया जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाचार्य हैं, ने दी।
अंतिम यात्रा में परिवारजन, रिश्तेदार, मित्र और सैकड़ों की संख्या में समाजजन शामिल हुए। पूरे शहर से लोग उन्हें अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। उनके चाहने वालों की आंखें नम थीं और हर कोई उनके व्यक्तित्व, योगदान और सादगी की चर्चा कर रहा था।
स्थानीय लोगों ने उन्हें सच्चा समाजसेवक, नेक इंसान और प्रेरणास्रोत बताते हुए श्रद्धांजलि दी। एक वृद्ध ग्रामीण ने भावुक होकर कहा, “लल्ला जी ने हमेशा दूसरों के लिए जिया, अपने लिए नहीं। उनका जाना पूरे समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।”
जगन्नाथ लल्ला के निधन से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा क्षेत्र शोकाकुल है। उनके जीवन के मूल्य और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।