
मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ : पूर्व मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास के नाम पर बने बीबीडी ग्रुप की करीब 100 करोड़ रुपये कीमत की बेनामी संपत्तियों को आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति निषेध इकाई ने जब्त कर लिया है। ये बेशकीमती संपत्तियां चिनहट स्थित अयोध्या रोड पर उत्तरधौना, जुग्गौर, 13 खास, सरायशेख और सेमरा ग्राम में वर्ष 2005 से 2015 के बीच खरीदे गए भूखंड हैं। ये सभी बीबीडी यूनिवर्सिटी के आसपास स्थित हैं, जहां कई प्रोजेक्ट का कार्य जारी है। जल्द आयकर विभाग बीबीडी ग्रुप की कई अन्य बेनामी संपत्तियों को भी जब्त करने की तैयारी में है।

आयकर विभाग की जांच में सामने आया है कि इन संपत्तियों के असली लाभार्थी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अखिलेश दास की पत्नी अलका दास, उनके बेटे विराज सागर दास, मेसर्स विराज इंफ्राटाउन प्राइवेट लिमिटेड और हाईटेक प्रोटेक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हैं। बेनामीदारों में अधिकतर उनके कर्मचारी हैं, जिनमें से कई दलित हैं। आयकर विभाग इन बेनामी संपत्तियों की जांच वर्ष 2021 से कर रहा है। जांच में सामने आया कि बीबीडी ग्रुप के संचालकों ने जिन कर्मियों के नाम पर संपत्तियां खरीदी थीं, उनकी माली हालत लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने की नहीं थी। अधिकांश को तो उनके नाम पर जमीन खरीदने की जानकारी तक नहीं थी। उनके नाम पर इन संपत्तियों को नगदी देकर खरीदा गया था। जांच शुरू होने के बाद तमाम संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने के उद्देश्य से बेचना भी शुरू कर दिया गया। जो जमीनें बिक गईं, उसका भुगतान बैंक में आने पर पूरी रकम को अगले दिन नगद निकाल लिया गया।
सर्किल रेट के अनुसार 20 करोड़ रुपये और बाजार भाव 100 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत
आयकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जब्त की गई 20 संपत्तियों का क्षेत्रफल करीब 8 हेक्टेयर है। इनकी कीमत डीएम सर्किल रेट के अनुसार करीब 20 करोड़ रुपये हैं। जबकि वर्तमान बाजार कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है। जल्द ही सर्किल रेट में इजाफा होने के बाद इन संपत्तियों की कीमत और बढ़ने वाली है। अधिकतर संपत्तियां लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर होने की वजह से उनकी कीमत सर्किल रेट से कई गुना अधिक हो चुकी है।
आयकर विभाग ने राजधानी के सभी उप निबंधक कार्यालयों को जब्त 20 भूखंडों की जानकारी देते हुए इनकी खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने को कहा है, ताकि आम जनता को अपनी जमापूंजी न गंवानी पड़े। साथ ही, जिन संपत्तियों को अब तक बेचा जा चुका है, उनकी विस्तृत जानकारी भी मांगी है। आयकर विभाग बिक चुकी संपत्तियों की भी गहनता से जांच करेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इनको भी आयकर विभाग की कार्रवाई से बचाने के लिए अपने करीबियों को तो नहीं बेचा गया है।
अखिलेश दास के उस बैंक का भी रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है जिसको उनका संरक्षण था।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा में गहरी पैठ बना चुके विराजदास की मुश्किलें बढ़ गयी हैं, लेकिन जानकारों की माने तो संघ और भाजपा में उनसे उपकृत लोगों ने बीबीडी स्कैम को दबाने के लिये दिल्ली तक सम्पर्क कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बड़ी डील के बाद मामला दब भी जायेगा। फिर भी समय रहते संघ और भाजपा के दिग्गज इस कार्रवाई को नहीं रोकवा पाये।
असली बजह तो दिल्ली की गुजराती जोड़ी और उप्र के सरकारी मुखिया की फ़ांस में फंस गए विराज़…….