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उच्च न्यायालय द्वारा नगर पालिका परिषद और उत्तराखंड पुलिस को फटकार, घर ढहाने के आदेश को किया रद्द

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, देहरादून : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (2 मई) को जिला प्रशासन, नगर पालिका परिषद और राज्य पुलिस को नैतीताल में पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामले में 65 वर्षीय आरोपी के घर ढहाने से संबंधित नोटिस जारी करने को लेकर फटकार लगाते हुए इसे रद्द कर दिया.

ये मामला उस वक्त सुर्खियों में आया, जब बुधवार (30 अप्रैल) की शाम 12 वर्षीय पीड़ित लड़की की मां उन्हें लेकर थाने पहुंची और उन्होंने शिकायत दर्ज कराई कि 12 अप्रैल को आरोपी उस्मान ने उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया.

इसके बाद इलाके में विरोध प्रदर्शन हुए और उस्मान का जहां दफ्तर था, उस बाजार में कुछ दुकानों और रेस्तरां में तोड़फोड़ की गई.

ध्वस्तीकरण नोटिस मिलने के बाद आरोपी उस्मान की 60 वर्षीय पत्नी ने वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय उत्तराखंड का दरवाज़ा खटखटाया.

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और जस्टिस रवींद्र मैथानी की खंडपीठ ने कहा, ‘हम अवमानना ​​आदेश जारी कर रहे हैं और इसे गंभीरता से ले रहे हैं. आप (नगर परिषद) सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन नहीं कर सकते; यह बहुत पहले पारित नहीं हुआ था. चाहे कोई भी हो, जो भी हो, सर्वोच्च न्यायालय बहुत स्पष्ट है: यदि आप किसी घर को ध्वस्त करना चाहते हैं, तो प्रक्रिया क्या है ?’

प्राधिकरण के वकील जेएस विर्क ने कहा कि नगर परिषद द्वारा नोटिस वापस ले लिया जाएगा.

किसी व्यक्ति का घर केवल इस आधार पर नहीं ढहा सकता कि वो किसी अपराध का अभियुक्त या दोषी है: सुप्रीम कोर्ट

पुलिस के लिए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘आपकी अक्षमता इन सभी समस्याओं का कारण बनती है और आप इसे छुपाना चाहते हैं. सभी की दुकानें… तोड़फोड़ क्यों की गई ? पुलिस सतर्क होती तो ऐसा नहीं होता. आगजनी करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है ? हमें जवाब चाहिए .’

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