
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : जाति जनगणना की पैरवी करने वाले और स्वराज अभियान के सह-संस्थापक योगेंद्र यादव ने विशेष बातचीत में कहा कि, “बीजेपी को मजबूरी में जाति जनगणना की मांग को स्वीकार करना पड़ा है.”
उनके मुताबिक़, ये घोषणा सामाजिक न्याय आंदोलन की जीत है जिसमें बीते दो वर्षों से कांग्रेस और ख़ास तौर पर राहुल गांधी ने नई जान फूंकी.
योगेंद्र यादव इसे राहुल गांधी की ‘व्यक्तिगत जीत’ बताते हैं.
योगेंद्र यादव ने कहा, “जाति जनगणना विरोधी तमाम बयान देने के बाद, बीजेपी का पलटना उसकी विजय नहीं हो सकती. ज़ाहिर है मोदी जी को, जैसा किसान आंदोलन ने किया था, घुटने टेकने पर मजबूर किया गया है.”
जाति जनगणना करने में कई अड़चनें आएंगी. सड़कों पर विरोध होगा. लेकिन उस विरोध का भी विरोध होगा.
नौकरशाही में विरोध होगा. क्योंकि इस देश का अधिकारी वर्ग अब भी कुछ ख़ास लोगों के चंगुल में है.
मीडिया से भी विरोध आएगा. तमाम सर्वेक्षण हमें बताते हैं कि 20 प्रतिशत की आबादी वाले लोग मीडिया की 80 से 90 प्रतिशत नौकरियों में बैठे हैं.
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