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तिरुमाला बालाजी का जिक्र कर SC ने सॉलिसिटर जनरल से पूंछा : क्या हिंदू बोर्ड में भी मुस्लिम होंगे ? वक़्फ़ बिल…..

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड की धार्मिक संरचना पर सवाल उठाया। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना विवाद के मुख्य बिंदुओं में से एक है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कदम मुसलमानों की अपने धर्म का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता को कमजोर करता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्डों का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे? इसे खुलकर कहें। यह टिप्पणी तब आई जब पीठ ने सवाल किया कि यदि इसके विपरीत करने की भी अनुमति नहीं है तो गैर-मुस्लिम वक्फ सलाहकार पैनल का हिस्सा क्यों नहीं हो सकते।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अधिनियम के अनुसार, कानून के अनुसार 8 सदस्य मुस्लिम होंगे, जबकि 2 मुस्लिम नहीं हो सकते तो बाकी तो गैर-मुस्लिम हुए। सीजेआई संजीव खन्ना ने एसजी मेहता से पूछा कि क्या हिंदुओं की धार्मिक ट्रस्ट के अनुसार गैर-हिंदुओं को बोर्ड में शामिल होने की इजाजत है। जस्टिस संजय कुमार ने भी केंद्र से पूछा और कहा कि कोई उदाहरण बताएं… क्या तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर में गैर-हिंदू हैं। जजों के सवाल पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वह कोई उदाहरण नहीं देना चाहते हैं, लेकिन मंदिर का वैधानिक पर्यवेक्षण एक कमेटी करती है, जिसमें मुस्लिम हो भी सकते हैं और नहीं भी। उन्होंने कहा कि तो हिंदू बंदोबस्ती के सलाहकार बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को भी क्यों नहीं रखा जाना चाहिए ? 

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