लखनऊ : भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसपर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इन सभी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं।

शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस को मामले में जांच की केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने पक्षकारों को भी 24 सितंबर तक अपने लिखित कथन दाखिल करने के लिये कहा है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार यानी 24 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगा।
इससे पहले बुधवार (19 सितंबर) को मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अंदेशे के आधार पर किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का गला नहीं घोटा जा सकता। अदालत ने पांचों कार्यकर्ताओं की नजरबंदी की अवधि आज तक के लिए बढ़ाते हुए कहा था कि हम इस मामले को ‘बाज की नजर’ से देखेंगे।
17 सितंबर को भी मामले में सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट में पांचों कार्यकर्ताओं की नजरबंदी की तारीख 19 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी थी। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर पांचों आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं मिले तो मुकदमा निरस्त कर दिया जाएगा।
अब गिरफ्तार किए गए कथित ‘माओवादी समर्थकों’ को सोमवार तक नजरबंद ही रहना होगा। इस मामले में पिछली सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके पास इस मामले में पुख्ता सबूत हैं जिनके आधार पर गिरफ्तारी की गई है।
मामले में बहस के बाद कोर्ट ने आज होने वाली सुनवाई के लिए सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 20 मिनट और पीड़ितों को 10 मिनट का समय दिया था। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।
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