
बिहार में महागठबंधन की सरकार की नई पारी के चार महीने पूरे हो चुके हैं.
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, पटना : बीजेपी के नाता तोड़ चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ महीनों से विपक्ष दलों के बीच एकता की कोशिश में भी लगे हुए हैं.
नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बिहार में महागठबंधन के भविष्य का नेता भी बता चुके हैं, तो जेडीयू के नेता नीतीश कुमार को पीएम मैटेरिल.
इस आधार पर देखें, तो बिहार में साल 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर साल 2025 के विधानसभा चुनाव की काफ़ी अहमियत होगी.
‘अगस्त क्रांति’ के लिए कैसे बना रास्ता
इस साल नौ अगस्त को जब नीतीश कुमार पटना के राजभवन पहुँचे, तो इसे ‘अगस्त क्रांति’ तक बताया जा रहा था.
लेकिन नीतीश कुमार के अलग होने को बीजेपी धोखा और अवसरवाद बता रही थी.
हालांकि साल 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान ही नीतीश कुमार और बीजेपी के संबंधों को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी थीं.
चुनावों के बाद से ही जेडीयू के कई नेता ‘चिराग मॉडल’ की बात कर रहे थे.
इसमें अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी पर ही आरोप लगाया गया कि चुनावों में जेडीयू को नुक़सान पहुँचाने के लिए चिराग पासवान का इस्तेमाल किया गया.
चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर जेडीयू के उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ एलजेपी के उम्मीदवार खड़े किए थे.
जेडीयू ने आरोप लगाया कि इससे चुनावों में उसे बड़ा नुक़सान हुआ.
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