
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे ए. जी. पेरारिवलन की जमानत बुधवार को मंजूर कर ली। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने उन दलीलों का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि दोषी पेरारिवलन 30 साल तक जेल में रहा है और उसका व्यवहार संतोषजनक रहा है, चाहे वह जेल के भीतर हो या पैरोल की अवधि के दौरान।
शीर्ष अदालत 47-वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने एमडीएमए जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया है। राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में एक चुनावी रैली के दौरान महिला आत्मघाती विस्फोट के जरिये कर दी गयी थी। आत्मघाती महिला की पहचान धनु के रूप में की गयी थी। धनु सहित 14 अन्य लोगों की मौत हो गयी थी।
गांधी की हत्या देश में संभवत: पहली ऐसी घटना थी जिसमें किसी शीर्षस्थ नेता की हत्या के लिए आत्मघाती बम का इस्तेमाल किया गया था। न्यायालय ने मई 1999 के आदेश में चारों दोषियों – पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी- को मौत की सजा बरकरार रखी थी। शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन के मृत्युदंड को कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय लिया था।
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