
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय हरियाणा के मूल निवासियों को राज्य में निजी क्षेत्र की कंपनियों की नौकरी में 75 फ़ीसदी आरक्षण संबंधी प्रावधान पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान हरियाणा सरकार के अनुरोध पर सुनवाई के लिए सहमति दी।
सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली ‘विशेष अनुमति’ याचिका को ‘अति आवश्यक’ बताते हुए सोमवार को सुनवाई करने की गुहार लगाई थी, जिस पर शीर्ष अदालत सहमत हो गयी।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार के गत 15 जनवरी को जारी उस अधिसूचना पर रोक लगा दी थी, जिसमें राज्य के मूल निवासियों के लिए प्रति माह 30,000 से कम की वेतन वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
रेवाड़ी, फरीदाबाद, गुरुग्राम की विभिन्न औद्योगिक एसोसिएशन के अलावा कई अन्य ने आरक्षण के प्रावधान संबंधी सरकार की अधिसूचना के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष विभिन्न दलीलों के साथ कहा था कि आरक्षण दिया जाना संविधान के खिलाफ है। हरियाणा सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
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