लखनऊ। कांग्रेस जल्द ही छोटे दलों से गठजोड़ की दिशा में भी आगे बढ़ने जा रही है। कांग्रेस ने आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से किनारा करते हुए अपनी चुनाव तैयारियों पर फोकस कर रही है। सपा-बसपा गठबंधन द्वारा दो सीटें (रायबरेली व अमेठी) छोड़ने के बदले जरूरी हुआ तो कांग्रेस कुछ सीटें और भी छोड़ सकती है। कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद पूर्वी जिलों के प्रमुख नेताओं की बैठक के बाद गठबंधन के प्रति नरम रुख में नजर आए। बसपा प्रमुख मायावती की कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणियों पर कुछ भी कहने से इन्कार करते हुए गुलाम नबी ने अपनी चुनावी तैयारियों के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की फरवरी में एक दर्जन सभाएं होंगी, जिसके बाद प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य ही बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि आम जनता भी जान गई है कि मजबूत कांग्रेस ही भाजपा को सत्ता से बाहर कर सकती है। जनता कांग्रेस को ताकत देने का मन बना चुकी है। 2009 की तरह कांग्रेस के पक्ष में चौंका देने वाले नतीजे आने का दावा करते हुए। उन्होंने उन छोटे दलों का नाम बताने से भी इन्कार किया। जिनसे गठबंधन वार्ता चल रही है। उन्होंने जरूरत पर गठबंधन के लिए कुछ सीटे छोड़ने की बात कही। लेकिन सीटों के नाम बताने से इन्कार किया और कहा कि सही समय पर बताया जाएगा।
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