
सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार 6 अगस्त को इतिहास विभाग, बीबीएयू एवं महुआ डाबर म्यूजियम के संयुक्त तत्वावधान में काकोरी शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में ’19वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल’ का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। इसके अतिरिक्त मंच पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू, मुम्बई से आये फिल्म डायरेक्टर प्रो. मोहन दास, इतिहास विभाग, बीबीएयू के विभागाध्यक्ष प्रो. वी.एम. रवि कुमार,काकोरी घटनाक्रम से जुड़े क्रांतिकारी श्री सचिन्द्र नाथ बख्शी की पौत्री सुश्री मीता बख्शी एवं मैक्सिको से आये फिल्म डायरेक्टर पास्कल बोरेल उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।सर्वप्रथम प्रो. एस. विक्टर बाबू ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। साथ ही प्रो. वी.एम. रवि कुमार ने सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य महुआ डाबर म्यूजियम के जी.पी. सिन्हा द्वारा किया गया।

विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने इस प्रेरणास्पद कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजन समिति को हार्दिक बधाई दी और कहा कि ऐसे आयोजन न केवल देशभक्ति की भावना को प्रबल करते हैं, बल्कि युवाओं में राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी विकसित करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक महान राष्ट्र है, जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता में एकता के सिद्धांतों में गहराई से जुड़ी हुई हैं। प्रो. मित्तल ने यह भी कहा कि भारतीय युवा आज के समय में बेहद प्रतिभाशाली, नवाचारी और ऊर्जावान हैं, जिनमें देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की क्षमता है। उन्होंने यह स्मरण कराया कि भारत की स्वतंत्रता और विकास की राह में न जाने कितने वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।

प्रो. मोहन दास ने अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के बारे में बताते हुए कहा कि यह फेस्टिवल एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, इतिहास और समकालीन सामाजिक मुद्दों को सिनेमा के माध्यम से प्रस्तुत करना है। यह फिल्म महोत्सव कला, संस्कृति और संवाद का एक समृद्ध मंच प्रदान करेगा। फेस्टिवल के दौरान विभिन्न देशों की अनेकों भाषाओं और शैलियों की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, जो समाज के विविध पक्षों को उजागर करेंगी। प्रो. मोहन दास ने बताया कि यह कार्यक्रम युवा फिल्मकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने, दर्शकों से जुड़ने और देश की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त रूप में प्रस्तुत करने का एक उत्कृष्ट अवसर देगा।

सुश्री मीता बख्शी ने न केवल अपने दादा जी श्री सचिन्द्र नाथ बख्शी के योगदानों को याद किया, बल्कि उस ऐतिहासिक आंदोलन की भावना को भी साझा किया जिसने पूरे देश को स्वतंत्रता संग्राम के लिए जागृत कर दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सचिंद्रनाथ बख्शी सहित कई युवा क्रांतिकारियों ने देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का संकल्प लिया था। काकोरी कांड 9 अगस्त 1925 को हुआ एक साहसिक क्रांतिकारी अभियान था और यह घटना ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ एक बड़ा प्रतीकात्मक प्रतिरोध बनी और देशभर में आज़ादी की अलख जगा गई। सचिंद्रनाथ बख्शी जैसे क्रांतिकारियों का बलिदान आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनकी विरासत हमें यह संदेश देती है कि मातृभूमि के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए।

पास्कल बोरेल ने आयोजन समिति तथा विशेष रूप से भारतीय जनमानस द्वारा दिए गए आदर और सम्मान के लिए हार्दिक धन्यवाद प्रकट किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश का अपना एक इतिहास होता है, लेकिन भारत का इतिहास यहां के वीर क्रांतिकारियों और तपस्वियों के कारण स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।

अंत में कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुदर्शन चक्रधारी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों से आये विद्यार्थियों के लिए ‘स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर आधारित पेंटिंग प्रतियोगिता एवं ‘काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष’ पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त देश- विदेश से आयी फिल्मों की स्क्रीनिंग भी की गयी।
समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष , विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, महुआ डाबर म्यूजियम के अधिकारी एवं कर्मचारी, शोधार्थी एवं विभिन्न विद्यालयों एवं बीबीएयू के विद्यार्थी मौजूद रहे।