
अशाेेेक यादव, लखनऊ। मोहर्रम पर ताजिया निकालने की अनुमति को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपना रुख साफ कर चुका है और इस मामले को लेकर उसने ताजिया निकालने की मांग को इनकार कर दिया था। वहीं अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मांग को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड महामारी संक्रमण के चलते धार्मिक समारोहों के आयोजन पर लगी रोक हटाकर मोहर्रम का ताजिया निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
इस मामलो को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि कोविड-19 को लेकर शासन की गाइडलाइन में किसी तरह का विभेद नहीं किया गया है। कोर्ट का यह भी कहना है कि सरकार ने कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगाई है। इसमें किसी भी विशेष समुदाय के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
कोर्ट ने कहा है कि जन्माष्टमी पर झांकी और गणेश चतुर्थी पर पंडालों पर भी रोक लगाई गई थी। ठीक उसी तरह मोहर्रम में ताजिया निकालने पर भी रोक लगी है। किसी समुदाय को टार्गेट करने का आरोप निराधार है। सरकार ने कोरोना फैलाव को रोकने के लिए ही ये कदम उठाया है। कोर्ट का कहना है कि महामारी के दौर में सड़कों पर भीड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
इसके साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि देशवासियों को कोविड-19 की गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करना चाहिए। इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट वीएम जैदी ने जगन्नाथ रथ यात्रा की तर्ज पर ही ताजिया दफन करने के लिए पांच या दस लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी लेकिन कोर्ट ने इस पर साफ तौर पर इनकार कर दिया है और यह भी कहा है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में परिस्थितियां अलग थीं। कोर्ट ने कहा है कि वहां पर केवल एक जगह का ही मामला था, इसलिए वहां पर मिली परमिशन को आधार नहीं बनाया जा सकता है।
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