
अशाेक यादव, लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 से जब पूरी दुनिया जूझ रही थी, उस समय देश की घनी आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश महामारी की चुनौती से निपटने के साथ ही महत्वाकांक्षी ‘एक जिला एक उत्पाद’ यानी ओडीओपी परियोजना को पंख लगाकर निर्यात के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाने को आतुर था।
आंकड़ों के अनुसार निर्यात के लिहाज से उत्तर प्रदेश के लिए वित्तीय वर्ष 2021-2022 शानदार रहा है। अप्रैल 2020-2021 से लेकर मार्च 2021-2022 के दौरान यूपी का निर्यात 107423.5 करोड़ से बढ़कर 140123.5 करोड़ रुपए हो गया। समग्रता में यह करीब 30 फीसद की वृद्धि है। इस निर्यात में ओडीओपी से जुड़े सामानों की है।
प्रोजेक्ट्स गुड्स फ़ॉर स्पेशल पर्पज में 2747 फीसद तक निर्यात बढ़ा है। अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने सोमवार को बताया कि जनवरी 2018 में उत्तर प्रदेश के प्रथम स्थापना दिवस पर लांच की गई मुख्यमंत्री की फ्लैगशिप योजना ओडीओपी की निर्यात में हिस्सेदारी खुद में उल्लेखनीय है।
अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बन सकता है
यह इस बात का भी संकेत है कि आने वाले समय में ओडीओपी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बन सकता है। यही नहीं उत्तर प्रदेश ने वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का जो लक्ष्य रखा है उसमें भी ओडीओपी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
उन्होने बताया कि इसके मद्देनजर काम भी जारी है। मसलन जिलों के उत्पादों के अनुसार वहां एक ही छत के नीचे इन उत्पादों से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स के हित के मद्देनजर कॉमन फैसिलिटी सेन्टर बनाए जा रहे हैं। इनमें से पांच तो बनकर तैयार हैं।
कुछ जल्दी ही बनकर तैयार हो जाएंगे। कुछ जिलों के सीएफसी का शीघ्र लोकार्पण भी होना है।
सहगल ने बताया कि ओडीओपी की संभावनाओं के ही मद्देनजर सरकार ने अगले पांच साल में इसके निर्यात और इससे सृजन होने वाले रोजगार का लक्ष्य दोगुना रखा है।
ओडीओपी योजना के तहत चुना गया
कुछ जिलों में दूसरे उत्पादों को भी ओडीओपी योजना के तहत चुना गया है।ओडीओपी से जुड़े सभी हितधारकों के मद्देनजर ऐसे सभी जिलों में सीएफसी बनने हैं। पांच बनकर तैयार हैं। कुछ निर्माणाधीन है जबकि कुछ मंजूरी की प्रक्रिया मे हैं। ओडीओपी के उत्पाद राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय बाजार में दाम और गुणवत्ता में प्रतिस्पर्धी हों इसके लिए चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण का काम भी जारी है।
ज्ञातव्य है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में ओडीओपी से करीब 25 लाख लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार/स्वरोजगार मिला था। योगी सरकार 2.0 का लक्ष्य अगले पाँच सालों में निर्यात के साथ साथ रोजगार अथवा स्वरोजगार के अवसर को दोगुना करने का है।
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