
अशाेक यादव, लखनऊ। केंद्र और राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। मोदी-योगी की लोकप्रियता भी बरकरार है। समाज के आखिरी व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचा। फिर भी कई क्षेत्रों में पार्टी के प्रति नाराजगी है। पंचायत चुनाव में इसकी झलक भी दिखी।
इसकी वजह क्षेत्रीय विधायक हैं, संघ और संगठन के फीडबैक से भाजपा को यह अहसास हो गया है। सो अब ऐसे विधायकों भले ही वे मंत्री हों, उनका टिकट काटने की तैयारी है। दो दिवसीय यूपी प्रवास में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यह संकेत दे गए हैं।
2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा विभिन्न माध्यमों से जमीनी हकीकत की पड़ताल कर रही है। पार्टी में चर्चा यह भी है कि विधायकों का क्षेत्रवार सर्वे करवाया जा रहा है, जिसमें अन्य दावेदारों की स्थिति भी जांची परखी जा रही है।
इसके अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी फीडबैक लिया जा रहा है। अब तक जो रिपोर्ट पाई गई है, उसमें सौ के करीब ऐसे विधायक व मंत्री हैं, जिनके कामकाम से स्थानीय मतदाता नाराज बताए जा रहे हैं।
दो दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास भी यह फीडबैक मौजूद है, यही वजह है कि उन्होंने लखनऊ और आगरा में हुई बैठकों में यह संकेत दे दिए हैं कि जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। ऐसे लोगों के टिकट बदले जा सकते हैं। क्योंकि योग्य दावेदारों की पार्टी में कोई कमी नहीं है।
इसके अलावा मंत्रियों को भी संगठन की ओर से विभागीय कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने के साथ ही जनता से जुड़ने की नसीहत दी जा चुकी है। उधर, विधानसभा प्रभारियों व संगठन के अन्य जिम्मेदार लोगों को स्पष्ट कर दिया गया है कि वे विधायक या व्यक्ति विशेष के नाम पर नहीं, पार्टी और मोदी-योगी के नाम पर बूथ स्तर तक प्रचार-प्रसार तेज करें।
ये भी होंगे टिकट कटने के कारण
- जनता से दूरी और जनता के बीच खराब छवि
- कार्यकर्ताओं की न सुनना और अलग गुटबाजी
- विकास कार्यों व सरकार की नीतियों के प्रति उदासीनता
- आमजन को नाराज कर वर्ग विशेष के प्रति समर्पण
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