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मुख्यमंत्री जी प्रदेश के बिगड़ते हालात को काबू करने का कर रहे हैं टोटका: अखिलेश यादव

राहुल यादव, लखनऊ। अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की सरकार अपनी सत्ता की भूख में प्रदेश की जनता के साथ छल करने में भी नहीं हिचक रही है। लाखों लोगों की रोजी रोटी पर संकट है। कोरोना संक्रमण से लाकडाउन की आशंका है। विगत वर्ष की भांति एक बार फिर मुम्बई तथा दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया है। गतवर्ष की त्रासदी झेल चुके विस्थापितों के सामने फिर अनिश्चित भविष्य के स्याह दिन नज़र आने लगे है। प्रदेश में भाजपा सरकार और इसके मुख्यमंत्री सिर्फ झूठे आश्वासनों की होर्डिंग लगा रहे हैं और जनता को भरमाने के लिए अखबारी विज्ञापनों में जनता की गाढ़ी कमाई लुटा रहे हैं।
     भाजपा सरकार कुप्रचार में माहिर है। उसने हिटलर की जर्मनी के महाझूठों के सरदार गोएबल्स को भी मात दे दिया है। चार साल में चार लाख नौकरियां दिए जाने का एलान हो रहा है। कहां-किसको कौन नौकरी मिली इसका ब्यौरा नहीं दिया जा रहा है? निवेश के हो-हल्ले के बावजूद एक भी उद्योग नहीं लगा। एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ। जो कल कारखाने चल रहे थे एक-एक कर वे भी बंद होते जा रहे हैं। फिर रोजगार का सृजन कहां हो रहा है।
     गतवर्ष कोरोना त्रासदी में जो लाखों लोग आए उन्हें अमानवीय स्थितियों में गुजर बसर करनी पड़ी। मुख्यमंत्री जी मनरेगा से काम देने के आंकड़े जारी करते रहे पर जमीनी हालात बदले नहीं। लोगों को रोटी-रोजगार के चक्कर में फिर बड़े महानगरों की ओर रूख करना पड़ गया। अभी दूसरी जगहों पर वे ठौर-ठिकाना ढूढ़ ही रहे थे कि फिर कोरोना का नया वज्रपात हो गया।
रेल, बस और हवाई अड्डो पर फिर प्रवासी भारतीयों की भीड़ बढ़ गई है। लोग आ रहे हैं पर आगे जिंदगी कैसे गुजरेगी, इसका पता नहीं? गतवर्ष की तरह अब कोई मदद में भी नहीं आ रहा है। सरकार तो कान में रूई डालकर बैठी हुई है। उसे गरीबों की चीखें नहीं सुनाई पड़ती है। चारों तरफ हाहाकार मचा है। मुख्यमंत्री जी वर्चुअल जुमलेबाजी में व्यस्त हैं। पिछले छह सालों में मंहगाई अपने शीर्ष पर पहुंच गई है। लोगों के सामने दिक्कते ही दिक्कते हैं।
     भाजपा की सरकार पिछले कोरोना संक्रमण काल में दीया-बत्ती, ताली और थाली से सब कुछ कंट्रोल करने का भरोसा देती रही थी। लेकिन इस बार कोरोना महामारी का जोर ज्यादा है। हालात बेकाबू हैं, अस्पतालों में अफरा तफरी मची हुई है। जनता में गहरी निराशा के साथ आक्रोश भी पनप रहा है। शासन-प्रशासन पूरी तरह पंगु है और वह अपनी नाकामी श्मसान घाट पर पर्दे लगाकर छुपा रहा है। मुख्यमंत्री जी जब खुद संक्रमित हो गए है तो वह प्रदेश के बिगड़ते हालात को काबू करने का टोटका कर रहे हैं। यह भाजपा सरकार का क्रूर और अमानवीय चेहरा है जो काफी डरावना भी है।

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