माले: मालदीव ने भारत को ऐसी किसी कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी दी है जिससे देश में राजनीतिक संकट सुलझाने में बाधा पैदा होने की आशंका हो. भारत की ओर से मालदीव में आपातकाल की अवधि बढ़ाने पर चिंता जताने के बीच मालदीव ने यह बयान दिया है. मालदीव के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार की रात एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने भारत सरकार की ओर से जारी सार्वजनिक बयानों पर गौर किया है, जिसमें मालदीव के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बाबत ‘तथ्यों एवं जमीनी हकीकत की अनदेखी’ की गई है.
मंत्रालय ने कहा कि भारत का यह कहना तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाना है कि आपातकाल की अवधि में 30 दिनों की बढ़ोतरी असंवैधानिक है. उसने कहा कि भारत ने अपने बयान में मालदीव के संविधान और कानून की अनदेखी की है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि मालदीव अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौरों में से एक से गुजर रहा है. लिहाजा, यह अहम है कि भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मित्र एवं साझेदार ऐसी किसी कार्रवाई से दूर रहें जिससे देश के सामने मौजूद हालात को सुलझाने में बाधा पैदा होती हो.’
बयान के मुताबिक, ‘मालदीव सरकार भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ करीबी तौर पर मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है ताकि उनकी चिंताएं दूर की जा सकें.’ मालदीव में आपातकाल की अवधि बढ़ाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए भारत ने कल कहा था कि वह ऐसा करने के लिए मालदीव की संसद के पास कोई ठोस वजह नहीं देखता और वह इस द्वीपीय राष्ट्र के हालात पर नजर रख रहा है.
मालदीव में आपातकाल की अवधि 30 दिन बढ़ाने की राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सिफारिश संसद द्वारा स्वीकार कर लिए जाने पर भारत ने ‘गहरी निराशा’ जाहिर की और इसे ‘चिंता का विषय’ करार दिया. मंगलवार को मालदीव की संसद ने देश में आपातकाल की अवधि 30 दिनों के लिए बढ़ा दी थी, जिससे देश की सत्ता पर राष्ट्रपति यामीन की पकड़ और मजबूत हो गई
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