लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल ने मेरठ में 6 मार्च को पुलिस और भाजपा के लोगों द्वारा जलाई गई झोपड़ियों की कटु निंदा करते हुए इसे अत्यंत शर्मनाक बताया है। 6 मार्च को मेरठ के भूसामंडी क्षेत्र में बसी 180 झुग्गी झोपड़ियों में से लगभग 95 झोपड़ियां जो अल्पसंख्यकों की थीं, पूरी तरह से जला दी गयीं। मौके पर पहुंचे माकपा प्रतिनिधि मण्डल को बस्तीवासियों ने बताया कि आग पुलिस और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मिलकर लगाया है और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां जो आग बुझाने के लिए पहुंची थी, को पुलिस ने आग बुझाने से मना कर दिया।
कैंट बोर्ड के कर्मचारियों और पुलिस की मिलीभगत से क्षेत्र को खाली कराने के उद्देश्य से झोपड़ियां जलाई गयी। अभी तक प्रशासन की तरफ से किसी तरह की मदद प्राप्त नहीं हुई। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गयी है और इसका सबसे बुरे शिकार गरीब और कमजोर तबके के लोग हो रहे हैं। प्रदेश में हो रहे आये दिन संगीन अपराधों में माफियाओं और पुलिस की मिलीभगत कायम है। लखनऊ की डकैती की घटना में पुलिस इंस्पेक्टर और सिपाही पकड़े गये हैं।
इन घटनाओं से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के उस बयान की पोल भी खुल जाती है जिसमे उन्होंने पुलिस के अच्छे व्यवहार से उनके प्रति जनता के नजरिये में बदलाव आने की बात कही थी। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) राज्य सचिव मण्डल ने मेरठ में जलाई गयी झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के लिए अविलम्ब आवास, उनके खाने-पीने तथा दूसरी जरूरी चीजों का इंतजाम करने के साथ ही झोपड़ी जलाने में लिप्त पुलिस कर्मियों तथा बोर्ड के कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।
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