लंदन: ईस्टर के 11 दिन के अवकाश के बाद सांसदों के संसद लौटने के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री थैरेसा मे को ब्रेग्जिट मुद्दे पर मंगलवार को अपनी कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से इस्तीफे की मांग के नए दबाव का सामना करना पड़ा। ब्रेग्जिट के तहत यूरोपीय संघ (ई.यू.) से ब्रिटेन को पिछले महीने बाहर होना था, लेकिन इसमें विलंब हो गया है क्योंकि सरकार ई.यू. से अलग होने के समझौते पर संसद का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है। यूरोपीय संघ ने किसी समझौते के अनुमोदन के लिए ब्रिटेन को 31 अक्तूबर तक का समय दिया है या फिर 28 देशों वाले संघ से उसे बिना समझौते के अलग होने को कहा गया है।
अधिकतर अर्थव्यवस्थाओं का मानना है कि ‘बिना समझौते’ वाला ब्रेग्जिट ब्रिटेन को मंदी में धकेल देगा क्योंकि उसे अपने बंदरगाहों पर सीमा शुल्क चौकियां स्थापित करनी होंगी और ब्रिटेन तथा यूरोपीय संघ के बीच व्यापार पर शुल्क लगाना होगा। ब्रेग्जिट समझौते पर मे सरकार और विपक्षी लेबर पार्टी के बीच बातचीत शुरू होने वाली है। लेकिन इस महीने के शुरू में कई दिन तक चली बातचीत कोई नतीजा हासिल करने में विफल रही थी। दोनों पक्षों के बीच अंतराल भरने के बहुत कम संकेत हैं। ब्रेग्जिट में विलंब और समझौते के लिए थैरेसा मे के प्रयास को लेकर ब्रेग्जिट समर्थक कंजर्वेटिव सांसदों और अधिकारियों के बीच रोष बढ़ रहा है। ब्रेग्जिट समर्थक कंजर्वेटिव सांसद नाइजेल ईवन्स ने मे की रवानगी का आह्वान किया और कहा कि उन्हें ‘जल्द से जल्द’ इस्तीफा दे देना चाहिए। मेरा मानना है कि कंजर्वेटिव पार्टी को नया नेतृत्व मिलने पर ही हम इस गतिरोध को तोड़ सकते हैं।’’
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