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बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारत के असल शिल्पकार थे

लखनऊ। आर. के. चौधरी ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 63वीं पुण्यतिथि पर यहां जारी किए गए बयान में कहा है कि बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारत के असल शिल्पकार थे। उन्होने मनु का विधान बदल कर हमें समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय पर आधारित राष्ट्र निर्माण के लिए संविधान बनाकर दिया। मनु के विधान के चलते आज का दलित-आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग मानवीय अधिकारों से वंचित था। भारतीय समाज वर्ण और जातियों में खण्ड-खण्ड बंटा था। दलित और शोषित समाज जानवरों से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर था। बाबा साहेब ने इस समाज का पक्ष साइमन कमीशन और लंदन के गोल मेज सम्मेलनों में रखा। उन्हें मनुवादियों के तमाम अडचनों को पार करके संविधान सभा में चुनकर जोन का अवसर मिला।

बाबा साहेब को भारतीय संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया गया। लगभग तीन वर्षों के परिश्रम से बाबा साहेब ने लोक तांत्रिक भारत की परिकल्पना करके दुनिया का सर्वोत्तम संविधान बना दिया। विगत दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि धन्य है मेरे अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी जहाॅ बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर जैसे विद्वान ने शिक्षा हासिल किया। संविधान सभा में बोलते हुए बाबा साहेब ने चिंता जाहिर किया था और कहा था कि संविधान चाहे कितना ही अच्छा हो, यदि इसे लागू करने वाले लोग अच्छे न हो तो अच्छा संविधान भी बुरा हो जायेगा। 26 नवम्बर 1949 को सर्व सम्मत से यह संविधान आत्मजात् किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में हम देश भर में राष्ट्रीय पर्व का आयोजन करते है। हमारे राजनेता और संवैधानिक संस्थाओं की कुर्सियों पर बैठे महानुभाव भाषण ज्यादा करते है। परन्तु संविधान और बाबा साहेब की चर्चा से किनारा कर लेते हैं।

भारतीय संविधान लागू हुए 68 साल बीत चुके है परन्तु भारत क सामाजिक गैरबराबरी बनी हुयी है। दलित-आदिवासी और अन्य पिछ़डा वर्ग,(शुद्र समाज) भारत के शासन-प्रशासन और शिक्षा संसाधनों में अपनी भागीदारी के लिए तरस रहा है। अभी गुरू द्रोणाचार्य के चेले सक्रिय है। वे भारत के संविधान को नहीं मानते। भारत के रूढिवादी और मनु की संताने धार्मिक ग्रंथों को ही अपना संविधान मानतें है। बाबा साहेब ने एक राष्ट्र व एक समाज की परिकल्पना करके जीवन भर संधर्ष किया। बाबा साहेब डा0 अम्बेडकर ने सोचा था कि भारत में नये समाज का निर्माण होगा जिसमें यहाॅ की सभी जाति और धर्म वालों को बराबरी और इन्सानियत का जीवन जीने का अवसर मिलेगा। परन्तु सडी-गली वर्ण व्यवस्था के समर्थक मनुवादी शक्तियाॅ बाबा साहेब की मंशा पर पानी फेर रहे है। इसलिए बाबा साहेब के परिनिर्माण दिवस 6 दिसम्बर को हम अम्बेडकर वादी लोग बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ संकल्प लेते हैं कि ’’भारत के संविधान’’ के अनुरूप समाज निर्माण में अपना योगदान देंगे।

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