
अशाेेेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों को किराया वहन करने और खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराने सहित कई अंतरिम आदेश गुरुवार को जारी किए।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों तथा कुछ हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किये।
न्यायालय ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए उनसे न तो रेल का किराया लिया जाएगा, न ही बस भाड़ा।
न्यायालय ने कहा कि इन मजदूरों के किराये पर आने वाला खर्च संबंधित राज्यों द्वारा साझा किया जायेगा। इतना ही नहीं, विभिन्न स्थानों पर फंसे मजदूरों को संबंधित राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराएंगे। मजदूरों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में प्रचारित-प्रसारित किया जाना आवश्यक होगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रस्थान बिंदु पर इन प्रवासी मजदूरों को खाने पीने की सुविधा संबंधित राज्य उपलब्ध करायेंगे, जबकि यात्रा के दौरान यह सुविधा रेलवे देगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की निगरानी करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि पंजीकरण कराने के बाद ट्रेन और बस में उन्हें जल्दी जगह उपलब्ध करायी जाये।
न्यायालय ने सभी संबंधित पक्षों को वस्तुस्थिति की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। न्यायालय के अंतरिम आदेश के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने टोकाटोकी की, जिसके बाद न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि यह आदेश केंद्र सरकार के लिए नहीं है, यह पूरी तरह राज्यों के लिए है।
न्यायालय ने आगे कहा कि जो भी प्रवासी श्रमिक सड़क पर घूमते नजर आयें, उन्हें तत्काल आश्रय गृह ले जाया जाये और उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जाये। खंडपीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि कामगरों की संख्या एवं उनके गृह राज्य भेजने के अनुरोध जैसे सभी आवश्यक ब्योरे रिकॉर्ड में लाये जाने जाने चाहिए।”
न्यायालय ने कहा कि जब कभी भी राज्य सरकार रेलगाड़ियों के लिए आग्रह करती है तब रेलवे को इसे उपलब्ध कराना होगा। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए अगले पांच जून की तारीख मुकर्रर की तथा उस दिन तक केंद्र को अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
Suryoday Bharat Suryoday Bharat