लखनऊ : पनामा पेपर मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पनामा पेपर लीक मामले में शरीफ को दोषी ठहराने के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया गया था. अदालत ने शरीफ और उनकी बच्चों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. नवाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री बने लेकिन कभी भी असाल पना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.
पनामा पेपर लीक मामले में नवाज शरीफ के पूरे परिवार को दोषी ठहराया गया था. शरीफ के परिवार के विदेश में संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जेआईटी का गठन किया था. जेआईटी ने 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी. इस सबके बीच यह बात सामने आ रही है कि नवाज शरीफ की बेटी मरियम की एक गलती के कारण ही उन्हें अपने प्रधानमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पनामा मामले में जांच के लिए जेआईटी गठित की थी. अदालत की तरफ से गठित जेआईटी को नवाज की बेटी मरियम ने गुमराह करने की कोशिश की थी. मरियम ने पनामा गेट से जुड़े जो दस्तावेज भेजे थे वो कैलिबरी फॉन्ट में टाइप थे और साल 2006 के थे. जबकि कैलिबरी फॉन्ट 31 जनवरी 2007 से पहले व्यावसायिक प्रयोग के लिए उपलब्ध नहीं था. यही गलती नवाज के लिए आजीवन मुसीबत का कारण बन गई.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दोषी पाए जाने के बाद नवाज शरीफ पर अब आपराधिक मामला चलेगा. इसके बाद वह आजीवन चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. नवाज के बेटों हुसैन और हसन के अलावा बेटी मरियम नवाज पर आरोप था कि उन्होंने टैक्स हैवन माने जाने वाले ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में कम से कम चार कंपनियां शुरू कीं. इन कंपनियों से इन्होंने लंदन में छह बड़ी प्रॉपर्टीज खरीदी.
इतना ही नहीं शरीफ फैमिली ने इन प्रॉपर्टीज को गिरवी रखकर डॉएचे बैंक से करीब 70 करोड़ रुपए का लोन लिया. इसके अलावा, दूसरे दो अपार्टमेंट खरीदने में बैंक ऑफ स्कॉटलैंड ने उनकी मदद की थी.
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