नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने सेना के जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूर्वोतर में उग्रवादियों से लोहा लेने वाले असम राइफल्स के जवानों और भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल के जवानों को स्वच्छ पेयजल तथा बिजली जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध न होने पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इसकी व्यवस्था करने को कहा है। गृह मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने संसद में पेश रिपोर्ट में कहा है कि यह गंभीर विषय है कि पूर्वोत्तर में तैनात असम राइफल्स के कर्मियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है और इसकी व्यवस्था करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। समिति ने सभी कंपनी बेस में सीधे प्राकृतिक संसाधनों से पानी की आपूर्ति पर भी सवाल उठाया है और कहा है कि इसकी बजाय इन बेसों में उपचारित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए।
समिति ने यह भी कहा है कि कंपनी बेस को भी वर्षा जल संरक्षण और जल संचयन पर जोर देना चाहिए जिससे कि जरूरत पडने पर इस पानी का इस्तेमाल किया जा सके और हर जवान को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटा जा सके। समिति ने इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की है कि सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 20 फीसदी चौकियों पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है और 328 चौकियों पर बिजली की सुविधा नहीं है। रिपोर्ट में इस बात का भी संज्ञान लिया गया है कि सीमा चौकियों पर फिल्टर लगाये जाने के बारे में बल महानिदेशक और गृह मंत्रालय द्वारा द्वारा दी गयी जानकारियों में विरोधाभास है। महानिदेशक ने समिति को मौखिक बयान में बताया था कि सभी चैकियों पर पानी के फिल्टर और ‘आरओ’ प्रणाली लगी है जबकि गृह मंत्रालय ने जो आंकडे भेजे हैं।
उनमें कहा गया है कि लगभग 134 चौकियों में किसी तरह का फिल्टर सिस्टम नहीं लगा है। समिति ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि मंत्रालय ने 509 चौकियों में ‘आरओ’ सिस्टम लगे होने का दावा तो किया है, लेकिन यह नहीं बताया है कि उनमें से कितने काम कर रहे हैं। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि यह गृह मंत्रालय की विफलता है कि वह चैकियों पर तैनात जवानों को बुनियादी सुविधा भी उपलघ्ध नहीं करा पा रहा है। उसने मंत्रालय से चौकियों में स्वच्छ पेयजल और बिजली की सुविधा उपलबध कराने के लिए तुरंत कदम उठाने की सिफारिश की है।
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