लखनऊ /नई दिल्ली : दिल्ली में उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अधिकारों के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज बड़ा फैसला सुनाने वाला है. सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मसले पर आज साढ़े 10 बजे अपना फैसला सुनाएगी. इस संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.
 सीएम और एलजी के बीच टकराव की स्थिति कम
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्रशासित प्रदेशों में सीएम और एलजी के बीच टकराव की स्थिति कम होने के आसार हैं. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रशासित प्रदेशों में एलजी और सीएम के अधिकार बांट दिए जाएंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने LG को बताया बॉस
इससे पहले इस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने उपराज्य़पाल को दिल्ली का बॉस बताया था. 4 अगस्त, 2016 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और दिल्ली सरकार एलजी की मर्जी के बिना ना तो कानून बना सकती है और ना ही विधानसभा में इसे पेश कर सकती है.सुनवाई के दी गई ये दलीलें
आम आदमी पार्टी सरकार ने मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ के सामने कई सारी दलीलें दी थी. दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसके पास विधायी और कार्यपालिका दोनों के ही अधिकार हैं. उसने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास कोई भी कानून बनाने की विधायी शक्ति है, जबकि बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिए उसके पास कार्यपालिका के अधिकार हैं. यही नहीं, आप सरकार का यह भी तर्क था कि उपराज्यपाल अनेक प्रशासनिक फैसले ले रहे हैं और ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार के सांविधानिक जनादेश को पूरा करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 एए की व्याख्या जरूरी है.
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