उत्तराखंड: प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर होगी। बैठक शाम चार बजे से होगी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में परिवहन विभाग उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) का प्रस्ताव ला सकता है। इसके अलावा सरकार नई पीपीपी नीति के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा सकती है। खनिज नीति में कुछ संशोधन के प्रस्ताव भी बैठक में लाए जाने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, सरकार इसे डायरेट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम (डीबीटी योजना) में बदलने जा रही है। इसके चलते मुफ्त सफर करने वालों को बस में टिकट लेना होगा।
टिकट का पैसा बाद में उनके खाते में आएगा। मौजूदा समय में उत्तराखंड की रोडवेज बसों में 15 विभिन्न श्रेणियों में मुफ्त सफर की सुविधा है। इसमें रोडवेज सालाना पांच करोड़ से अधिक खर्च करता है। रोडवेज प्रबंधन का मानना है कि सांसद और विधायकों के कोटे में सालाना सैकड़ों यात्राएं दिखाई जाती हैं। हकीकत में वे रोडवेज बस में सफर नहीं करते हैं। अप्रैल 2018 में मुफ्त यात्रा के नाम पर फर्जीवाड़ा भी उजागर हुआ था। इसके बाद सांसदों ने अपने नाम पर दिखाई गई यात्राओं पर विरोध जताया था। बहरहाल अब परिवहन निगम की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिस पर बुधवार को कैबिनेट की बैठक में मुहर लगने की संभावना है।
महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन के मुताबिक डीबीटी स्कीम के तहत मुफ्त सफर के दायरे में आने वालों को अब यात्रा के दौरान टिकट का भुगतान करना होगा, बाद में टिकट की धनराशि मुसाफिरों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी। सांसद, विधायक, राज्य निर्माण आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राएं, स्वतंत्रता सेनानी की विधवा, आर्मी वारंट, 65 साल और अधिक आयु के सीनियर सिटीजन, दिव्यांग आदि। डीबीटी स्कीम से केवल वही यात्री मुफ्त सफर कर सकेगा, जो वाकई में दायरे में आता होगा। दूसरे के नाम पर यात्रा पर रोक लगेगी। प्रस्ताव पास कर लिया गया है। कैबिनेट में मुहर लगने के बाद इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा।
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