नई दिल्ली: लंबे समय से राज्यसभा में अटका तीन तलाक बिल मंगलवार को पास हो गया. राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में 99 तो विरोध में 84 सदस्यों ने वोटिंग की. इस बिल को पास कराने में कई क्षेत्रीय पार्टियों ने वोटिंग में हिस्सा न लेकर भी बड़ी भूमिका निभाई है. इन पार्टियों द्वारा वोटिंग में हिस्सा न लेने की वजह से बहुमत का आंकड़ा कम हो गया और पीएम मोदी इस बिल को ऊपरी सदन पास करा गए. तीन तलाक बिल को लेकर जम्मू-कश्मीर की पार्टी पीडीपी के सांसदों का रवैया भी हैरान करने वाला रहा. दरअसल, पीडीपी के दो सांसदों ने ऊपरी सदन में बिल पेश होने के बाद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस वजह से बहुमत का आंकड़ा और कम हो गया. और मोदी सरकार इस बिल को पास कराने में सफल रही.
बता दें कि पीडीपी पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सदन में बिल पेश होने से पहले कहा था कि वह इस बिल को लेकर किसी भी तरह से सरकार का साथ नहीं देंगी. लेकिन उनकी पार्टी के दो सांसदों द्वारा वोटिंग में हिस्सा न लेने से अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा मोदी सरकार को ही हुआ. बता दें कि तीन तलाक बिल को लेकर कुछ दिन पहले ही महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि मोदी सरकार इस बिल के सहारे हमारे (मुस्लिम) के घरों में घुसने की कोशिश कर रही है. उन्होंने तीन तलाक बिल को लेकर एक ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा कि मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि आखिर मोदी सरकार इस बिल को पास ही क्यों करवाने पर अड़ी है, खास कर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैर-कानूनी बताया है. ऐसा करना सिर्फ मुसलमानों को दंड देने के लिए किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जब देशकी अर्थव्यवस्था की हालत इनती खराब चल रही हो तो क्या सरकार के लिए यह इतना अहम मुद्दा होना चाहिए?
गौरतलब है कि विपक्ष के कड़े ऐतराज और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग के बीच तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास हो गया. इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई. वोटिंग के दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84, जबकि विरोध में 100 वोट पड़े. अब इस बिल को स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होना मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है. बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि आज एक ऐतिहासिक दिन है. दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है. यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत थी.
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