लखनऊ : सावन मास में कांवड़ियों द्वारा सड़कों पर किए जाने वाले हंगामे और उत्पात मचाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कावंडियों का मुद्दा उठा और अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कांवड़ियों ने भी उत्पात मचाया है. इससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है. साथ ही न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया कि वह उन कांवड़ियों पर उचित कार्रवाई करे जो उत्पात मचाते हैं और कानून अपने हाथ में लेते हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इलाहाबाद में नेशनल हाईवे के एक हिस्से को पांच घंटों तक कावंडियों के लिए बंद कर दिया गया. अटॉनी जनरल ने कहा कि किसी भी मुद्दे पर विरोध के लिए कुछ नियम होने चाहिए, क्योंकि किसी फ़िल्म का विरोध हो या किसी सामाजिक राजनीतिक मुद्दे पर प्रदर्शन… लोग सड़कों पर उतर कर हिंसक प्रदर्शन करने लगते हैं. कोर्ट इस मामले में गाइडलाइन जारी करे.
अटार्नी जनरल ने कहा कि आए दिन सड़कों पर धरने-प्रदर्शन और दंगे से रास्ता जाम होता रहता है. कभी एससी/एसटी के मुद्दे पर हाइवे को बंद कर दिया जाता है तो कभी कावड़ियों रास्ते जाम कर देते है.दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कोडुंगलुर फ़िल्म सोससिटी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमे मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट अपने 2009 के पुराने फैसले का पालन करवाये और नई गाइडलाइन बनाए, ताकि भविष्य में ऐसे लोगों से वसूली की जा सके जो फिल्मों की रिलीज रोकने के नाम पर सड़कों पर प्रदर्शन करते है और संपत्तियों को नुकसान पहुचते है और रोड बंद कर देते हैं. इस पर चीफ जस्टिस की बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
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